तेजी से डिजिटल होती दुनिया हमारी जीवन शैली को उन्नत और आसान बना रही है। कंप्यूटर और स्मार्टफोन द्वारा कोई भी सूचना हमारे पास तुरंत पहुंच जाती है। सरकार भी अब डिजिटल लेन-देन को तेजी से बढ़ावा दे रही है, पर तेजी से डिजिटल होते हमारे जीवन में साइबर अपराध एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है।

एक अनुमान के अनुसार, स्मार्टफोन उपयोग करने वालों की संख्या भारत में लगभग अस्सी करोड़ हो गई है, जो कि पिछले पांच वर्षों के 40.4 करोड़ से लगभग दुगुनी है। साइबर अपराध केवल लेन-देन से जुड़ा न होकर वास्तव में कई प्रकार के अपराधों का समूह है, जिसमें हैकिंग, आनलाइन ठगी, फिशिंग, पोर्नोग्राफी, स्पैम ईमेल, आनलाइन भयादोहन आदि अनेक अपराध आते हैं और पर्याप्त जानकारी न होने के कारण आम नागरिक इसमें फंस जाता है।

हाल ही में संसद में पेश ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में 2021 में चौदह हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल के अनुसार जनवरी 2021 से नवंबर 2022 तक आठ लाख शिकायतें आ चुकी हैं। देश में 5जी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं और इन्हें जल्द से जल्द समूचे भारत में लागू करने की तैयारी है।

इनके लागू होने से आनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं में भी बढ़ोतरी होने का अंदेशा है। कुछ लोगों को अभी से अपने इंटरनेट या फोन की सेवा को अद्यतन करने के लिए फोन आने लगे हैं। 5जी सेवाओं के लागू होने से इंटरनेट की गति 4जी के मुकाबले 100 गुना तक बढ़ सकती है, जिससे इंटरनेट का प्रदर्शन तो बहुत तीव्र हो जाएगा, पर किसी अपराध की दशा में संभालने का मौका भी नहीं मिलेगा।

इसलिए नेटवर्क प्रदाता कंपनियों को नई सेवाओं के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के उपाय भी आम उपभोक्ताओं को बताने चाहिए। कुछ क्षेत्र साइबर अपराधियों के लिए अधिक आकर्षक हैं, क्योंकि वे वित्तीय और चिकित्सा डेटा एकत्र करते हैं। इसलिए ऐसे संगठनों को अपने लिए जल्द से जल्द साइबर सुरक्षा ढांचा तैयार कर लेना चाहिए।

पुनीत अरोड़ा, मेरठ</strong>