हमारे यहां अदालतों में लंबित मामलों की संख्या अधिक बढ़ गई है। इससे निपटने के लिए न्यायपालिका में रिक्तियों को भरने और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार करने की बात प्रधान न्यायाधीश ने कही है। लोग न्यायपालिका पर विश्वास करते हुए इंतजार करते हैं कि उनके अधिकारों की रक्षा अदालतों द्वारा की जाएगी और उन्हें न्याय मिलेगा।
इसलिए प्रधानमंत्री ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया आसान और समझ में आने वाली होनी चाहिए। देश की अदालतों में स्थानीय भाषाओं का प्रयोग होना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि जल्दी ही इसका निदान हो जाएगा। देश के आम लोग चाहते हैं कि न्यायालय के फैसले उनकी भाषा में हों, जिन्हें वे समझ सकें। प्राय: फैसले अंग्रेजी में होते हैं, जिन्हें वे नहीं समझ पाते। प्रधान न्यायाधीश रमण की यह बात प्रशंसनीय है कि वे अपने कार्यकाल में उन मुद्दों को उजागर कर रहे हैं, जो कानूनी प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
कुलदीप मोहन त्रिवेदी, उन्नाव
मिट्टी की सेहत
हमें अपना जीवन जीने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र में उपस्थित प्रत्येक जीव और प्रत्येक तत्व की आवश्यकता होती है। मगर हम लगातार देख रहे हैं कि इस भूमंडल का सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व मृदा का स्वास्थ्य निरंतर बिगड़ता जा रहा है, जो हमारे और हमारी पीढ़ियों के लिए बेहद भयावह होगा। लगभग प्रत्येक जीव का जीवन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मृदा के बेहतर स्वास्थ्य से ही जुड़ा है।
अगर मृदा जिंदा है तो हम सब जिंदा हैं। हमारे शरीर के लिए जरूरी सभी तत्व इसी से प्राप्त होते हैं, जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन, आयरन आदि। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में मृदा का बेहतर स्वास्थ और उसकी बेहतर गुणवत्ता होना बहुत जरूरी है, क्योंकि भारत में बारहों महीने खेती की जाती है और देश की बड़ी आबादी इस क्षेत्र में कार्यरत है। इसके अलावा इसका देश की अर्थव्यवस्था में भी अतुलनीय योगदान है।
मृदा की इस दुर्दशा के लिए मानवीय गतिविधियां ही ज्यादा जिम्मेदार हैं। मसलन, हमारे जीवन में प्लास्टिक का लगातार बढ़ता उपयोग, कृषि जगत में तात्कालिक आर्थिक लाभ कमाने की भावना ने भयंकर रूप से कीटनाशकों प्रयोग बढ़ाया है। साथ ही परंपरागत पद्धति से खेती करना, बड़े-बड़े उद्योगों द्वारा अपशिष्ट एवं हानिकारक पदार्थों का गलत निष्कासन, जल और वायु प्रदूषण का बढ़ना प्रमुख कारण है। इसलिए जरूरी है कि अब हम समय के साथ और अति गंभीर होकर और इन समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द करें।
हम मृदा संरक्षण के लिए कुछ नए उपाय कर सकते हैं। हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि मृदा की सुरक्षा करना किसी देश, सरकार संस्थान, व्यक्ति या किसी धर्म विशेष की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक पीढ़ी के जिम्मेदारी है कि हम इसकी सुरक्षा के लिए सामूहिक रूप से एकजुट हों। हमें किसानों को प्रशिक्षित करके उन्हें संसाधन उपलब्ध करा कर।
प्रभावशाली वर्ग को इस अभियान में आगे आए प्रभावशाली वर्ग से ऐसे वर्ग से है, जिनको एक बड़ा जनसमूह सुनता-समझता हो। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले बड़े आयोजनों में मृदा संरक्षण को लेकर जनमानस को जागरूक किया जाए। मृदा संरक्षण के अभियान को सकारात्मक प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जाए।
कल्याणकारी योजनाओं को और प्रभावशाली तरीके से लागू किया जाए। बेहतर मृदा स्वास्थ्य का विषय शिक्षा के हर स्तर पर अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए। अभी हम कुछ इन मूलभूत हो मुद्दों पर नियंत्रण कर लेते हैं, तो निश्चित तौर पर हम इस क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं, अन्यथा केवल कागजी आंकड़े हमारे लिए बेहतर नहीं होंगे।
सौरव बुंदेला, भोपाल</p>