कोविड-19 महामारी के दौर से गुजर रही हमारी शिक्षा-व्यवस्था में विभिन्न प्रकार के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बिना परीक्षा दिए बच्चों को पास करना इसी महामारी के दौर में हुआ। उसके लिए अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपनी परीक्षा प्रणाली में बदलाव किया है। अभी दसवीं और बारहवीं की पहली परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। पर बारहवीं और दसवीं के विभिन्न विषयों के प्रश्न-पत्रों में जिस प्रकार की त्रुटि आ रही है, उससे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर सवाल उठ रहे हैं।

प्रश्नपत्र बनाने वाले अध्यापक वर्ग और उस समिति के अध्यक्ष तथा सभी सदस्यों पर विभिन्न प्रकार के आरोप लग रहे हैं। इस प्रकार के सवालों का पूछा जाना अनुचित है। इससे तो ऐसा लगता है कि केवल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बनाई गई प्रश्न-पत्र समिति औपचारिकता मात्र कर रही है वह अपने कार्यों के प्रति सचेत नहीं है।

इस विषय पर संसद में भी सवाल पूछे गए और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को कठघरे में खड़ा किया गया। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसलिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस बात पर विशेष रूप से ध्यान दे।
’विजय कुमार धानिया, नई दिल्ली</p>

घाटी में आतंक

संपादकीय ‘आतंकी मंसूबे’ के विषय में यही कहना है कि आज अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर काफी कुछ बदल गया है, पर पाकिस्तान इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। वह जिस तरह आतंकवादियों को बार-बार कश्मीर घाटी में धकेलता है, वह उसकी खुन्नस का ही नतीजा है।
जम्मू और कश्मीर मिलकर एक राज्य है, पर पाकिस्तान का आतंकवाद केवल कश्मीरियों को परेशान करता है।

जम्मू में हिंदू आबादी अधिक है, शायद इसीलिए वहां आतंकवाद नहीं है, जबकि कश्मीर घाटी में मुसलिम आबादी अधिक हैं, जो अक्सर पाकिस्तानियों के बहकावे में आ जाती है। मगर प्रशंसा करनी होगी कि आज कश्मीरियों की भावना में भी बदलाव आ रहा है। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त नए अधिकारों के कारण भी अब वहां परिवर्तन आ रहा है। यही कारण है कि आज पाकिस्तान और अधिक बौखलाया हुआ है। इसीलिए उसने कश्मीरी पुलिस वालों पर भी हमले करना शुरू कर दिया है, जो वह पहले नहीं करता था। सेना के काफिले पर ही अधिक हमले करता था।

पिछले छह महीनों से कश्मीर पुलिस पर हो रहे हमले दर्शाते हैं कि आतंकवादी घाटी में किसी से प्यार नहीं करते और उनका मकसद केवल आतंक फैलाना है। वे कश्मीरी नागरिक और पुलिसकर्मी सराहना के पात्र हैं, जो अपनी घाटी की सुरक्षा के लिए देश का साथ दे रहे हैं। इसलिए आतंकियों के मंसूबे आगे कभी सफल होंगे, ऐसा संभव नहीं लगता। कश्मीर देश का भाल है और इसकी सुरक्षा करना हर देशवासी और हर कश्मीरी का फर्ज है
’मनमोहन राजावत ‘राज’, शाजापुर