‘नशे का जाल’ (संपादकीय, 5 मई) पढ़ा। इसमें युवाओं में बढ़ती नशे की लत को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। महानगरों और छोटे शहरों में अवैध मादक पदार्थ बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। युवा पीढ़ी के ऐसे अभिभावक, जो अपनी व्यापारिक व्यस्तताओं में उलझे रहते हैं, अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। वह कहां जाता है, किससे मिलता है, उसके मित्रों की आदतों की जानकारी लेने की चिंता नहीं करते हैं।
ऐसी लापरवाही से ही युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आती चली जाती है। गलत संगत में पड़कर नशा करने की छोटी-छोटी शुरुआत से ही धीरे-धीरे नशे की आदत उसके शरीर पर गहरी पकड़ बना लेती है। ऐसी अवस्था में नशे की भूख उसके लिए असहनीय हो जाती है, तब नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए अपने अभिभावकों पर पैसा लेने के लिए दबाव डालने लगता है। मना करने पर तरह-तरह की धमकियां देने लगता है। पैसा नहीं मिलने पर चोरी जैसी बुराई को अपना लेने में भी शर्म महसूस नहीं करता है।
ऐसी परिस्थिति आने पर नशे की लत पर अंकुश लगाने में अभिभावक भी असमर्थ हो जाते हैं। युवाओं की चिंताजनक स्थिति होने के बाद ही नशे के जाल से निकालने के लिए अभिभावकों की चेतना जागृत होती है। पर शायद तब तक देर हो चुकी होती है। नशे की आदत के शिकार युवाओं के मां-बाप सामाजिक बदनामी से डरकर किसी परामर्श आश्रम में भेज कर उसका इलाज कराने से भी हिचकने लगते हैं।
अब सरकारी तंत्र के पुलिस विभाग को युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर लगाम लगाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देना होगा। जिस युवा पीढ़ी के बल पर सरकार देश के विकास की प्रगति के स्वप्न देख रही है, वह युवा नशे के जाल में फंस कर अपना दिमागी संतुलन खोता जा रहा है।
बीरसैन सरल, गाजियाबाद।
जल और हम
राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी अब दिनोंदिन गर्मी बढ़ती जा रही है। तापमान लगातार बढ़ने के साथ-साथ पानी की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। दिल्ली के कई ऐसे इलाके, जहां अब जल संकट देखा जाने लगा है, जो सरकार की व्यवस्था और वादों की पोल खोलते हैं, लेकिन राजधानी में कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां प्रशासन जल की समुचित व्यवस्था के लिए प्रयासरत है और अपने उद्देश्यों को प्राप्त भी कर रहा है।
बड़ा सवाल उठता है कि क्या केवल सरकार के प्रयास ही जल संकट को दूर किया जा सकता है? क्या हम नागरिकों की कोई भूमिका नहीं बनती?
ऐसा बिल्कुल नहीं है और न ही केवल सरकार के इस दिशा में प्रयास करने से जल संकट दूर होगा। हम सभी नागरिकों को सामने आना होगा और गर्मी के दिनों में पानी की बचत करने के लिए अलग-अलग उपाय अपनाने होंगे, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत ही हम सभी को आने वाले दिनों में राहत प्रदान करेगी।
अभी गर्मी की शुरुआत है। आने वाले दिनों में यह अपने चरम पर पहुंचेगी। झुलसा देने वाली गर्मी के दिनों में हमें पानी की और भी ज्यादा आवश्यकता होगी। सबसे महत्त्वपूर्ण है कि हम मानवता का परिचय देते हुए पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करें, पक्षियों के आश्रय के लिए कुछ करें, क्योंकि वे भी प्रकृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं।
दिव्यांशु राठौर, दिल्ली विवि।
दिल्ली की उम्मीद
सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के द्वारा दिल्ली की प्रशासनिक शक्तियों पर दिया फैसला ऐतिहासिक है और एक नजीर पेश करेगा। दिल्ली वालों को एक उम्मीद जगी है कि दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई समाप्त होगी और सरकारी कामकाज की गति बढ़ेगी। दिल्लीवासियों की रोजमर्रा की समस्याओं का समाधान होगा और राजनेताओं की इच्छाशक्ति ईमानदार रही, तो देश की राजधानी विश्व की सुंदर, व्यवस्थित और प्रगतिशील राजधानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार अब कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन पर अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा, जबकि बाकी सभी विभाग दिल्ली सरकार के पास होंगे, जिसमें सबसे महत्त्वपूर्ण दिल्ली का सेवा विभाग और सतर्कता विभाग भी दिल्ली सरकार के अधीन ही रहेंगे। संविधान पीठ ने 2021 में दिए गए न्यायमूर्ति अशोक भूषण के निर्णय पर सहमति जताई।
दिल्ली सरकार के कामकाज और प्रशासनिक व्यवस्थाओं का बंटवारा स्पष्ट रूप से कर दिया गया है और दिल्ली वाले अपेक्षा करते हैं कि दिल्ली के राज्यपाल, मुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार बेहतर समन्वय, संवाद स्थापित कर दिल्ली की जनता की अपेक्षित सेवा करेंगे।
वीरेंद्र कुमार जाटव, देवली, दिल्ली।
सावधानी का तकाजा
‘पाकिस्तान में अराजकता’ (संपादकीय, 11 मई) आज के हालात के सरोकार सामने रखता है। औरों के घर में आग लगा कर खुद सुकून तलाशता पाकिस्तान इस समय अराजकता की चपेट में है। आज जिस तरह के हालात पाकिस्तान में हैं, वह या तो गृहयुद्ध या फिर आपातकाल का संदेश देते हैं। इमरान को फिलहाल राहत भले मिल गई हो, लेकिन देश में इमरान की गिरफ्तारी से ज्यादा आक्रोश उसके तौर-तरीकों को लेकर है।
सेना के अफसर जिस तरह इमरान का गिरेबान पकड़ कर सेना की गाड़ी में धकेल रहे थे, वह सब वहां की अवाम को नागवार गुजरा है। वैसे पाकिस्तान में सेना से पटरी नहीं बैठने की सजा उठाने का यह कोई पहला मौका नहीं है। वहां इस तरह का संघर्ष आम रहा है। अब देखने वाली बात यही होगी कि पाकिस्तान किन हालात में पहुंचता है।
पाकिस्तान की स्थिति से भारत को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि हमने उस इतिहास को झेला है, जब वहां के राजनीतिक माहौल का फायदा उठा कर आतंकवादी हमारी सीमा में घुसपैठ करके अस्थिरता का माहौल पैदा करते हैं।
अमृतलाल मारू ‘रवि’, इंदौर।
अपनों का साथ
श्रद्धा हत्याकांड में आरोप तय हो जाने के बाद इससे लड़कियों को सबक लेने की जरूरत है। किसी अजनबी पर बेइंतेहा एतबार, अपनों से दूरियां और अपने साथ अत्याचार और मारपीट को सहना, ये सब अपराधी के हौसले और बढ़ाते हैं। अपनों से अच्छे संबंध, खुद पर विश्वास, भावनात्मक और मानसिक रूप से मजबूती ऐसे आपराधिक मामलों में वक्त रहते न केवल जरूरी कदम उठाने में सहायता करते हैं, बल्कि गलत रिश्ते से बाहर निकलने में भी मदद करते हैं। जरूरत है सतर्कता और सावधानी की।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली।