क्वाड में विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन ने फिर भारत-चीन विवाद को इस तरह से उठाया जैसे कि चीन के साथ ज्यादती हो रही हो। उल्लेखनीय है कि इस मामले पर चीन के साथ चौदह दौर की कूटनीतिक चर्चा होने के बावजूद चीन का अड़ियल रुख स्पष्ट करता है। यद्यपि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को क्वाड में सीधे मुंह जवाब नहीं दिया है तथा अभी तक ढाई सौ से अधिक ऐप प्रतिबंधित भी कर दिए गए है, किंतु चीन का रुख भी पाक से मेल खा रहा है। अपेक्षानुरूप परिणाम प्राप्ति हेतु भारत को गंभीर होकर अधिक तल्खी के साथ वार्ता करनी होगी, अन्यथा अन्य विकल्पों को आजमाते हुए चीन को परेशानी में डालना होगा, ताकि चीन के तेवर भी ढीले हो सके। बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, तराना, उज्जैन
नासमझी त्यागो
बच्चा रूसता है तो मां मनाती है, बड़ा रूसता है तो परिवार। मित्र रूसता है, तो मित्रगण और देश रूसता है तो मित्र देश। वर्चस्व की लड़ाई छोड़ो, अमेरिका भी बात करने को तैयार है और राजी है, पूरा यूरोप मनाने को। मान भी जाओ, आपका मित्र भारत भी चाहता है शांति। युद्ध कोई समाधान नहीं है, समाधान तो बातचीत में ही निहित है। इसलिए छोड़ो जमीन की लड़ाई और बचाओ लाखों जमीर और टालो संभावित विध्वंस को। आज दुनिया कोई पुराने खयाल की नहीं, बल्कि आधुनिक विचार की है। विकास को विकास ही रहने दो, उसे विनाश की ओर धकेलने की नासमझी मत करो युद्ध करके। बहुत मेहनत से आज दुनिया ने यह मुकाम पाया है, इसे जाया करने का मन छोड़ो और शांति का पैगाम लेकर दुनिया को और आगे बढ़ाने का प्रयास करो।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर</p>
जलवायु परिवर्तन
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने अभी-अभी अपनी वार्षिक फ्रंटियर रिपोर्ट जारी की है। इसमें शहरी ध्वनि प्रदूषण, जंगल की आग आदि को लेकर चिंताएं हैं, जिनके समाधान की तत्काल आवश्यकता है। शहरों को वन क्षेत्र से और दूर धकेला जा रहा है, जिससे वे आने वाले दशक में जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएंगे। शहरी ध्वनि प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव हमारे महासागरों, मौसम, खाद्य स्रोतों और हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
खुशबू वेद, आलोट (मप्र)