आजकल हर व्यक्ति का मानसिक सहनशीलता का स्तर बहुत घट गया है। छोटी-छोटी बातों पर लोग बेलगाम होकर व्यवहार करने लगे हैं और कोई-कोई तो मारपीट से आगे हत्या जैसे जघन्य अपराध कर बैठता है। कुछ माह पूर्व इंदौर में कार से मोटरसाइकिल वाले को हल्की खरोंच लगने पर बाइक सवार ने सड़क पर विवाद कर परिवार के इकलौते युवा उद्योगपति को धक्का देकर डंपर के नीचे गिरा दिया मौके पर मौत हो गई।
इसी तरह अनंत चतुर्दशी की झांकी देखने भोपाल से आए इंजीनियरिंग कालेज के छात्र को पेट्रोल पंप पर आगे लगने के विवाद पर चाकू घोंप कर हत्या कर दी गई। महू में समय पर टीवी नहीं सुधारने पर सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी ने दुकानदार की गोली मारकर हत्या कर दी।
जाहिर है, ऐसी छोटी और बेहद मामूली बातों पर भी इंसान आपा खोकर हत्यारा बनने लगा है। इसका कारण मादक पदार्थों का सेवन, गलत खानपान, नशा, उत्तेजित समाचार, टीवी, भाग-दौड़ भरी जिंदगी, एकाकी परिवारों में सामाजिक प्रशिक्षण की कमी और गलत संगत आदि मुख्य कारण है।
बेहद छोटे होते जा रहे परिवारों में माता-पिता अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं और संतान को इंसान बनना नहीं सिखा पाते। बड़े होकर ऐसे ही बच्चे अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं या फिर संवेदनहीन हो जाते हैं।
- अरविंद जैन ‘बीमा’, उज्जैन