हमारा देश कृषि प्रधान होने के साथ-साथ अन्य बहुत से क्षेत्रों में भी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कहीं न कहीं आगे है, जिस पर हम लोगों को गर्व है। जलवायु विविधता और उपज के अतिरिक्त हमारा संविधान और लोकतंत्र भी मजबूत है। इसके अलावा, हमारे देश में समय-समय पर अलग तरह की शासन प्रणालियां और शासक रहे हैं, लेकिन तब भी नैतिकता का सर्वोच्च स्थान रहा है।
हम लोगों ने जरूरत पड़ने पर एक समय के भोजन का त्याग किया है और देशहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज जब दुनिया की अर्थव्यवस्था महामारी के चलते लगभग पंगु जैसी हो गई है, तब इसने हम तमाम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। ऊपर से जब लोकतांत्रिक सरकार हो तो हर नागरिक का कर्तव्य और बढ़ जाता है।
प्राचील काल से यह देखा गया है कि किसी भी देश मे कहीं कुछ गड़बड़ होता है तो अंत में जिम्मेदारी राजा की होती है। आज अपना देश कई समस्याओं से जूझ रहा है। चीन देश की सीमा पर अतिक्रमण के साथ-साथ चारों तरफ अपने पांव पसार रहा है। विश्व बाजार पर तो एक तरह का कब्जा है ही इस देश का। हाल के दिनों में किसान आंदोलन ने भी एक बड़ा रूप ले लिया है और लगभग काफी दूर तक फैल चुका है। किसान और सरकार के बीच तनातनी जैसी स्थिति है।
लोकतंत्र में कौन छोटा है, कौन बड़ा, हम सभी भलीभांति जानते हैं। सबसे बड़ी संसद है यानी देश की सरकार और दूसरे शब्दों में देश। कुछ भी सही-गलत होगा, तो जिम्मेदारी सरकार की है। सही क्या है, गलत क्या है, इसकी भी सीमाएं हैं। देश के नागरिकों की अपेक्षा है कि देश के मुखिया सबके हित में कोई ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें कि अपने देश का सिर गर्व से ऊंचा रहे। इस समय हमारा देश दुनिया की नजरों में दो कारणों से नजर में है।
एक तो हमारा गणतंत्र दिवस मनाने की तिथि नजदीक है, दूसरा किसान आंदोलन। इसे लेकर सरकार और किसान आमने-सामने हैं। नैतिकता का यह तकाजा है कि सरकार अपने सक्षम होने का फर्ज अदा करे। उम्मीद है कि कोई न कोई हल निकल आएगा।
’राजेंद्र प्रसाद बारी, इंदिरा नगर, लखनऊ, उप्र