आजम खान ने बाबा साहब को ‘भूमाफिया’ ठहरा दिया! फरमाया कि अपनी मूर्तियों में दाहिना हाथ सीधा उठा कर वे सामने की संपत्ति पर अवैध कब्जे करने का संकेत करते हैं! संविधान-निर्माता के ऐसे अपमान के लिए आजम को माफी मांगनी चाहिए। आंबेडकर ने अपने जीवन में हर कार्य कानून का कठोरता-पूर्वक पालन करते हुए किया। एक उदाहरण प्रस्तुत है: 11 अक्तूबर 1951 को उन्होंने नेहरूमंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया। अगले दिन यानी बारह अक्तूबर को ही वे केंद्रीय मंत्री के रूप में आवंटित हुई हार्डिंग एवेन्यू (अब तिलक मार्ग) स्थित कोठी को खाली कर 26 अलीपुर रोड पर किराए के आवास पर चले गए। मृत्यु-पर्यंत (6 दिसंबर 1956 तक) यही उनका निवास-स्थान रहा।
जरा आजम इसकी तुलना आज के नेताओं के आचरण से करें। मंत्री पद/ सांसदी/ विधायकी चली जाती है, पर वे कोठियां खाली नहीं करते। मुलायम सिंह सहित उत्तर प्रदेश के तमाम पूर्व मुख्यमंत्री अपनी आवंटित कोठियों पर कब्जा किए बैठे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने खाली करने का आदेश दिया तो सपा सरकार ने कानून बदल कर सहूलियत दे दी। आजम की पार्टी के माफिया नेता पूरे सूबे में अवैध कब्जे करने की होड़ में लगे हैं। नेताजी ने खुद इस बारे में चेतावनियां देकर देख लीं पर कोई असर नहीं हुआ। अवैध कब्जे के धंधे में फंसे ऐसे दल का नेता बाबा साहब जैसे सूर्य पर थूके, तो वह थूक उसके ही मुख पर गिरना लाजमी है।
’अजय मित्तल, मेरठ</p>