त्योहारों के नजदीक आते ही लोगों की आवाजाही बढ़ती है। लोग त्योहार के इस मौके पर अपने परिवार के पास रहना पसंद करते हैं। बीते दिनों दीपावली की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों के सार्वजनिक वाहन जैसे ट्रेन में जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। लोगों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि रेलवे स्टेशन पर भी खड़े होने तक की जगह नहीं थी।

जैसे ही कोई भी ट्रेन आती, लोग उस ट्रेन में स्थान पाने की जद्दोजहद में लग जाते। जिनको सीट मिल जाती वे खुश थे और जिनके हाथ निराशा लगती, वे अगली ट्रेन का इंतजार करते और अपने अंदर फिर से दूसरी ट्रेन में चढ़ने के लिए उत्साह भरते या तो जहां से आए थे, वहीं लौट जाते।

सरकार ने त्योहार के इस मौके पर कुछ अतिरिक्त ट्रेनें चलवाई थीं, लेकिन उन ट्रेनों की संख्या इस बड़ी जनसंख्या के लिए पर्याप्त नहीं थी। कितनी ट्रेनें रद्द हुईं, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। देश के रेल ढांचे में सुधार की बहुत आवश्यकता है। सरकार को रेल व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में इतनी परेशानियों को सामना न करना पड़े।