सरकार खरीदे गए अनाज को सहेजने और संभालने में लापरवाही से काम करती है। इसके कारण भारी मात्रा में अनाज खराब हो जाता है। साथ ही सरकारी राशन की कालाबाजारी होती है। पात्र व्यक्ति तक राशन पहुंच ही नहीं पाता है। देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होने के बाद भी भुखमरी और कुपोषण की सदी झेल रहा है।
देखा यह भी जा रहा है कि फैलते आवासों कल-कारखानों के कारण उपजाऊ भूमि कम होती जा रही हैं रसायनों के बिना उपज बढ़ाने उपाय करने होंगे। अन्यथा आने वाले वक्त में हम भुखमरी के साथ-साथ वैसे लोगों के गंभीर बीमारियों का सामना करते देख सकते हैं जो रासायनिक खादों या अन्य कृत्रिम तरीकों से उपजाए गए अन्न और डिब्बाबंद खाना खाते हैं।
हुकुम सिंह पंवार, टोड़ी, इंदौर</p>
सवालों पर परदा
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की पुलिस को नफरत भरे भाषण फैलाने वालों पर कार्रवाई न करने पर अवमानना के लिए तैयार रहने को कहा है। दरअसल, पिछले कुछ समय से नफरत भरे भाषण देकर दो पंथों के बीच में विद्वेष को फैलाया जा रहा है, जिससे देश में अशांति पैदा हो।
यह सब कुछ नेताओं के द्वारा किया जा रहा है, जिससे कि जनता इसी में उलझी रहे और कोई नेताओं से यह न पूछ सके कि उन्होंने कितने अस्पताल, स्कूल या सड़क बनवाए, गरीबी, भुखमरी को दूर करने और पर्यावरण के लिए क्या किया है। इन सवालों पर जनता का ध्यान न जाए, इसके लिए वे ऐसे भाषणों का प्रयोग कर रहे हैं। हमारे टीवी चैनल भी पूरे दिन ऐसी ही घटनाओं को दिखा कर अपनी टीआरपी बढ़ाना चाहते हैं। इसलिए अगर जनता और पुलिस इससे सजग नहीं हुई तो इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं।
रिंकू जायसवाल, सिंगरौली