लोकपाल की नियुक्ति करने और भ्रष्टाचार मिटाने के सर्वस्वीकार्य उद्देश्य को लेकर समाजसेवी अण्णा हजारे द्वारा चलाए गए आंदोलन की उपज कहलाने वाले अरविंद केजरीवाल ने कभी भी राजनीति नहीं करने की खाई कसम को तोड़कर आम आदमी पार्टी के नाम से पार्टी बनाई और दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। पिछले कुछ समय के दौरान उनकी पार्टी के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के अनेक संगीन आरोप लगे हैं, लेकिन उन्हें हटाने के बजाय वे लगातार उन्हें बचाने में लगे हैं।

जबकि उन्होंने भ्रष्टाचार मिटाने का वादा किया था और आमजन के बीच इसी मुद्दे से उनकी छवि बनी। इस तरह अरविंद केजरीवाल ने समाजसेवी अण्णा हजारे के साथ ही दिल्लीवासियों को भी धोखा दिया। इस स्थिति में समझ में नहीं आ रहा है कि अण्णा हजारे खामोश क्यों हैं? क्या वे इस मसले पर कोई नया आंदोलन करेंगे?