कई पार्टियों के चुनाव रणनीतिकार रहे और इस क्षेत्र के अनुभवी प्रशांत किशोर अब पार्टियों की और देश की हालत देख बिहार से एक नई राजनीतिक पार्टी खड़ी करना चाहते हैं। बिहार, यूपी के बाद देश का बड़ा राज्य है। अगर वे वहां अच्छी पकड़ बनाने में सफल रहते हैं, तो निश्चित ही जल्द आगे बढ़ सकते हैं। देश में पहले ही पार्टियों की कोई कमी नहीं है और उनमें यह भी अब एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में जुड़ सकती है।
देश में तेजी से बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और जनता के असंतोष आदि से तो लगता है कि प्राय: सभी पार्टियां एक जैसी हैं। असल में पुरानी और बड़ी कांग्रेस पार्टी का घमंड ही उसे ले बैठा, जिसको ऐतिहासिक अण्णा आंदोलन ने कुचल दिया और बाद में भी वह अपनी गलत नीतियों के कारण मात खाती गई। अण्णा आंदोलन से भाजपा और नई आम आदमी पार्टी के हाथों में ही सत्ता आ गई।
आज ये दोनों ही तेजी से आगे बढ़ती दिखाई देती हैं, क्योंकि इनके पास सत्ता और संगठन दोनों हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर का आगे बढ़ना कठिन लगता है। इसको अब अन्य सभी से अलग जोड़-तोड़, आकर्षक और दमदार टिकाऊ नीति से ही चलना होगा, तभी ये कुछ आगे बढ़ सकते हैं।
वेद मामूरपुर, नरेला
युद्ध का तमाशा
पुतिन द्वारा युद्ध को समाप्त करने हेतु लक्ष्य नौ मई तक दिया। ऐसा समाचारों में बतलाया जा रहा है। मगर सच कितना है, यह अनुमानित तारीख को ही पता चलेगा। सुझाव यह है कि यूक्रेन-रूस के युद्ध में भारतीय पत्रकारों, कैमरामैन, आदि लगातार अपनी सेवा रिपोर्टिंग के जरिए दे रहे हैं। वहां के हालात दिनों दिन बिगड़ते जा रहे है। कभी भी ये देश आपस में परमाणु बम का उपयोग कर सकते हैं। इसलिए वहां पर गए पत्रकारों को शीघ्र आपस बुलाया जाए। युद्ध विनाश का प्रतीक होता है। यूक्रेन पर रूस ने तीन दिशाओं से हमला कर विमानों, हवाई सुरक्षा व्यवस्था और भवनों को ध्वस्त किया। यूक्रेन भी रूस के विमानों सैनिको, टैंकों को ध्वस्त करने का दावा कर रहा है।
यूक्रेन को कोई देश सहयोग नहीं कर रहा है। युद्ध का असर बढ़ते दाम के रूप में अन्य देशों को भुगतना पड़ रहा है। टीवी पर समाचारों के जरिए हम युद्ध के हालात देख कर विचलित और चिंतित हो रहे हैं। युद्ध को रोका जाना ही मानव जाति के लिए उचित होगा। अंतराष्ट्रीय देशों की संधि बेलगाम होती दिखाई दे रही है। युद्ध रोकने की पहल किसी ने नहीं की। सब युद्ध का तमाशा देख रहे हैं।
संजय वर्मा ‘दृष्टि’, धार, मप्र