समुद्र की गहराई से लेकर हिमालय की ऊंचाई तक पलास्टिक प्रदूषण की समस्या व्याप्त है। प्लास्टिक प्रदूषण में आधा से अधिक एकल उपयोग प्लास्टिक की भागीदारी है। इस लिहाज से देखें तो पर्यावरण को स्वच्छ रखने और प्लास्टिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक जुलाई से एक बार इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक सामानों पर प्रतिबंध लगाया जाना एक स्वागतयोग्य कदम है।

केंद्र सरकार ने इससे पूर्व भी इस पर प्रतिबंध लगाया था। कई बार राज्य सरकारों ने भी इस तरह का प्रतिबंध लगाया है, लेकिन जागरूकता का अभाव एवं प्लास्टिक का सही विकल्प उपलब्ध नहीं होने की वजह से हर बार यह असफल साबित हुआ है।

पर्यावरण और प्राणियों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर संकट बन चुका है। हालांकि प्लास्टिक हमारे जीवन एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है और इससे पिंड छुड़ाना मुश्किल काम है। पालिथीन की थैलियां, प्लास्टिक के कप, प्लेट, चम्मच, झंडा सजावट की सामग्रियां हमारे दैनिक इस्तेमाल में शामिल हो चुकी थीं।

प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को देखते हुए हमें प्लास्टिक के न्यूनतम उपयोग की आदत डालनी चाहिए और इसके नुकसान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। अगर लोग प्लास्टिक के नुकसान के बारे में जागरूक हो जाए, तो सरकार को कड़े नियम बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। वैज्ञानिकों को प्लास्टिक के विकल्प तैयार करने चाहिए और लोगों को भी कपड़े की थैलियां इस्तेमाल करने की आदत डालनी चाहिए।
हिमांशु शेखर, गया, बिहार</p>