उन्होंने हाल ही में गुजरात चुनाव में हिंदू मतों को अपने पक्ष में करने के लिए मांग कर दी कि नोटों पर गणेश जी और लक्ष्मी जी के चित्र होने चाहिए। चुनाव आयोग को उनसे यह स्पष्टीकरण लेना चाहिए कि अगर गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बन भी गई तो क्या वे नोटों पर चित्र को बदलने का काम कर सकते हैं? जगजाहिर है कि यह काम उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

दूसरे जिन मतों को पाने के लिए वे ऐसे वक्तव्य देते हैं, क्या वे लोग भी इससे सहमत होंगे? नोट गिनते समय लोग कई बार अपने थूक का प्रयोग करते हैं जो कि स्वाभाविक है कि देवी-देवता के चित्रों को अपवित्र करेगा। फिर हिंदू से इतर अन्य समुदाय के लोग इन चित्रों के प्रति क्या भाव रखेंगे, सिवा उन्हें गैरजरूरी मानने के।

कोई अन्य व्यक्ति इसका अपमान नहीं करेगा, इसे लेकर कैसे आश्वस्त हुआ जा सकता है? मंचों पर पेशेवर अश्लील नृत्यांगनाओं के ऊपर बेहद गंदे भाव से अक्सर नोट उड़ाए जाते हैं, जो कई बार पांवों के नीचे भी आते हैं। वैसी स्थिति में लक्ष्मी और गणेश वाले नोटों का कैसा सम्मान होगा? नोटों के सही इस्तेमाल को लेकर देवताओं के चित्र छापने की मांग की कोई तुक नहीं बनती, भले ही कुछ दूसरे उदाहरण सामने रखे जाएं।
नरेंद्र टोंक, मेरठ</p>

वायुमंडल में विष

जिस दौर में पर्यावरण और जलवायु तापमान को लेकर सबसे ज्यादा फिक्र जताई जा रही है, उस दौर में युद्ध के खतरे बड़े होते जा रहे हैं। जबकि युद्ध जैसे माहौल से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पर्यावरण को नुकसान होता है। वायुमंडल विषाक्त होता है। एक जानकारी के मुताबिक नासा के वैज्ञानिक थामस का कथन है कि फिलहाल जिस गति से पृथ्वी का वायुमंडल छीज रहा है, उस हिसाब से एक से डेढ़ अरब साल में वायुमंडल पूरी तरह खत्म हो जाएगा। वायुमंडल को विषाक्त होने से बचाना चाहिए, ताकि ओजोन परत सुरक्षित रह सके।

धरती या किसी ग्रह का वायुमंडल उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के कारण बंधा रहता है। इस बंधे हुए वायुमंडल के बाहर अंतरिक्ष में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिसके कारण वायुमंडल की कुछ वायु गुरुत्वाकर्षण को तोड़कर अंतरिक्ष में विलीन हो जाती है। इस प्रक्रिया को ‘ओरेरा’ कहा जाता है। पृथ्वी के रहवासियों को कार्बन उत्सर्जन की मात्रा को कम करना होगा। वृक्षारोपण को ज्यादा संख्या में किया जाना होगा, ताकि वायुमंडल बना रहे। वृक्ष भी आक्सीजन प्रदान करते हैं। वायुमंडल से ही धरती के रहवासी सुरक्षित रह सकते हैं।
संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, धार