केंद्र सरकार अब बंद पीएफ खाते में पड़े फंड का इस्तेमाल सीनियर सिटिजन वेलफेयर स्कीम के लिए करने की योजना बना रही है। हालांकि, ट्रेड यूनियन इसका विरोध कर रही हैं। मंगलवार को हुई ईपीएफओ के साथ बैठक में से ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि इसके विरोध में बीच में उठकर चले गए। सरकार क्लेम नहीं किए गए फंड का इस्तेमाल सीनियर सिटिजन वेलफेयर फंड के लिए करना चाहती है, जबकि ट्रेड यूनियन इसके खिलाफ है। कुछ देर विरोध करने के बाद यूनियन के प्रतिनिधि वापस बैठक में चले गए। बैठक में वापस तब लौटे जब श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने घोषणा कि यह फैसला वापस ले लिया गया।
केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता कर रहे श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने यह आश्वासन देते हुए उन्हें शांत करने की कोशिश की कि वह इस मामले को संबंधित मंत्रियों और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी ले जाएंगे। सीबीटी ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च समिति है। न्यासियों के बीच वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष से जुड़ी अधिसूचना पर पूरक एजेंडा बांटे जाने के तुरंत बाद श्रम संगठनों के सदस्यों ने सरकार के फैसले के विरोध में बैठक से बहिर्गमन किया।
अधिसूचना के मुताबिक, खातों को निष्क्रिय घोषित करने की तिथि से सात साल तक की अवधि में कोई दावे दारी नहीं आने पर ऐसे खातों में पड़ी राशि के आधार पर एक कोष (वरिष्ठ नागरिक कल्या कोष) स्थापित किया जाएगा। दत्तात्रेय भी बीच में बैठक कक्ष से निकल कर श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों को शांत करने की कोशिश की और उनसे बैठक में शामिल होने का आग्रह किया। मंत्री के आश्वासन पर यूनियनों के प्रतिनिधि बैठक में पुन: शामिल हो गए।
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करीब 42 हजार करोड़ रुपए बंद पड़े खातों में है, बोर्ड के ट्रस्टी प्रभाकर बनासुरे का कहना है कि 27 हजार करोड़ रुपए सीनियर सिटिजन संबंधित वेलफेयर स्कीम में ट्रांसफर किए जा सकते हैं। अपने विरोध जाहिर करते हुए प्रतिनिधियों ने मंत्री से कहा कि यह नॉटिफिकेशन कानूनी रूप से उचित नहीं है। साथ ही कहा कि क्लेम नहीं किए गए फंड का इस्तेमाल वेलफेयर स्कीम के लिए करना सही नहीं, क्योंकि यूजर्स की ओर से उस फंड के लिए कभी भी क्लेम किया जा सकता है।
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