कोरोना वायरस से निपटने के लिए हुए लॉकडाउन की वजह से भले ही लाखों लोग शहरों से पलायन कर गांवों में पहुंचे हैं। हालांकि गावों में भी संकट कम नहीं हैं। सरकार की ओर से गरीब लोगों को 5 किलो सब्सिडी वाले राशन के अतिरिक्त 5 किलो मुफ्त गेहूं या चावल और एक किलो दाल जून तक देने का ऐलान किया गया है। हालांकि इसके बाद भी हजारों लोग ऐसे हैं, जिनके सामने भूखों मरने का संकट पैदा हो सकता है। दरअसल ये वे लोग हैं, जिनके नाम राशन कार्ड में अपडेट नहीं हैं या फिर उनके नाम पर कार्ड ही नहीं बिना है। बिना राशन कार्ड के अनाज मिलना नहीं है और कार्ड उनके पास है नहीं।
सरकार की ओर से 1.7 लाख करोड़ रुपये के कोरोना पैकेज का ऐलान किया गया है, जिसके मुताबिक 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की यह सुविधा मिलनी है, जो देश की 62 फीसदी आबादी के बराबर हैं। हालांकि इसके बाद भी बेहद गरीब तबके के तमाम लोग इसकी कवरेज से बाहर हो जाते हैं। इसकी वजह यह है कि बीते करीब 5 सालों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली का डेटा अपडेट नहीं हुआ है। ऐसे में नवविवाहित लोग और उनके बच्चों को सूची में जगह नहीं मिल पाई है। लाभार्थियों की सूची को आखिरी बार 2013 से 2016 के बीच अपडेट किया गया था।
बता दें कि देश में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो राशन कार्ड की सूची से बाहर हैं क्योंकि वे अपने गांव से पलायन करके शहर चले गए थे। ऐसे में उन्हें शहरों में भी किसी तरह का लाभ नहीं मिल सका और गांवों के डेटा में भी उन्हें जगह नहीं मिल सकी। बता दें कि भारत के पास करीब डेढ़ साल के लिए पर्याप्त भोजन का भंडार है, जिसका इस्तेमाल देश के लॉकडाउन की स्थिति में होने पर गरीबों के भोजन के लिए किया जा सकता है। यही नहीं आने वाले दिनों में नई फसल के साथ ही राशन के इस भंडारण में बड़ा इजाफा हो जाएगा। हालांकि इस स्थिति के बाद भी डेटा के अपडेशन न होने जैसी व्यवस्था और तकनीकी समस्याओं के चलते हजारों लोगों के सामने खाने तक की किल्लत है।
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