आयकर विभाग ने दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को 14,200 करोड़ रुपए का कर चुकाने के लिए ‘रिमाइंडर’ भेजा है और साथ ही कंपनी को आगाह किया गया है कि इसका भुगतान नहीं करने की स्थिति में उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। ब्रिटेन की कंपनी ने कहा है कि आयकर विभाग का यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के वादे से तालमेल नहीं रखता है।

विभाग ने पिछले साल फरवरी को वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग्स बीवी को नोटिस भेजकर 14,200 करोड़ रुपए के कर का भुगतान करने को कहा है। यह नोटिस कंपनी को 2007 में 11 अरब डालर में हचिसन वाम्पोआ के भारतीय दूरसंचार कारोबार के अधिग्रहण के मामले में भेजा गया है। यह मामला फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता या पंच निर्णय में है। वोडाफोन के प्रवक्ता ने कहा- हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमें कर विभाग से कर भुगतान के लिए ‘स्मरण पत्र’ मिला है। इसमें भुगतान नहीं करने पर संपत्ति जब्त करने के बारे में भी कहा गया है। यह कर मांग उस विवाद में की गई है जो फिलहाल अंतरराष्ट्रीय पंचाट में है।

ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी ने हचिसन में 67 फीसद हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए की गई कर मांग पर आपत्ति जताई थी। अब इसे वोडाफोन इंडिया के नाम से जाना जाता है। कंपनी की दलील थी कि इस मामले में कोई कर नहीं बनता, क्योंकि यह लेनदेन विदेश में किया गया। हालांकि, कर विभाग की दलील थी कि पूंजीगत लाभ भारत स्थित परिसंपत्तियों पर हुआ है। वोडाफोन ने बयान में कहा कि भारत सरकार ने 2014 में कहा था कि हमारे सहित मौजूदा कर विवादों का निपटान मौजूदा न्यायिक प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा। कंपनी ने मोदी द्वारा शनिवार को मुंबई में मेक इन इंडिया सप्ताह में किए गए वादे का भी जिक्र किया।

वोडाफोन ने कहा कि जिस सप्ताह प्रधानमंत्री मोदी विदेशी निवेशकों को कर अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने का वादा कर रहे हैं। सरकार का कर विभाग के इस मामले में पूरी अलग नजर आता है और उसमें तालमेल का अभाव नजर आता है। मोदी ने शनिवार को कहा था कि हमने कराधान के मोर्चे पर कई सुधार किए हैं। हमने कहा है कि हम पिछली तारीख से कराधान पर आगे नहीं बढ़ेंगे। मैं एक बार फिर यह प्रतिबद्धता दोहराता हूं।

वोडाफोन का मामला यूपीए सरकार द्वारा 2012 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए आयकर कानून में पिछली तारीख से संशोधन से संबंधित है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला दिया था। वोडाफोन पर मूल कर मांग 7,990 करोड़ रुपए थी। लेकिन ब्याज और जुर्माने को जोड़कर यह बढ़कर 20,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है।

मध्यस्थता मामले में केंद्र सरकार और वोडाफोन दोनों अपने अपने पंचों का नाम घोषित कर चुकी हैं। लेकिन इस प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए तीसरे पंच के नाम पर अभी तक दोनों के बीच सहमति नहीं बनी है। कनाडा के वेस फोर्टियर मध्यस्थता समिति में वोडाफोन द्वारा मनोनीत हैं, वहीं भारत ने अंतरराष्ट्रीय वकील रॉड्रिगो ओरियामुनो को अपना पंच बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में वोडाफोन के पक्ष में फैसला देते हुए कहा है कि कंपनी पर हांगकांग की हचिसन से भारत में परिसंपत्तियों के अधिग्रहण में कोई कर की देनदारी नहीं बनती है।