देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई, आईसीआईसीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंड्सइंड बैंक की रेटिंग में बैंक ऑफ अमेरिका ने कटौती कर दी है। बैंक ऑफ अमेरिका का मानना है कि 2020 के अंत तक इन बैंकों को बड़े एनपीए यानी फंसे हुए कर्ज के संकट का सामना करना पड़ सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका ने इन बैंकों को लेकर आशंका जताई है कि कोरोना संकट के मद्देनजर छोटे कर्जधारकों के लोन के बड़े पैमाने पर एनपीए में तब्दील होने की आशंका है। ऐसे में इन बैंकों को बहुत ज्यादा कमाई होने की संभावना नहीं है।
नई रेटिंग में BoA ने एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा को अंडरपरफॉर्म की सूची में डाल दिया है। वहीं आईसीआईसीआई और इंड्सइंड बैंक को न्यूट्रल कैटिगरी में रखा गया है। इससे पहले एसबीआई को Buy की कैटिगरी में रखा गया था। यही नहीं इंड्सइंड बैंक की रेटिंग भी चौंकाने वाली है, जिसके करीब 90 फीसदी ग्राहकों ने इस संकट के दौर में भी किस्तों में छूट का लाभ लेने से इनकार किया है।
लोन की रिकवरी के मामले में बैंक का औसत काफी अच्छा है। इस तरह से बैंक ऑफ अमेरिका ने देश के दो दिग्गज सरकारी बैंकों और दो निजी बैंकों की रेटिंग को डाउनग्रे़ड कर दिया है। इस कटौती से निजी सेक्टर का दिग्गज बैंक एचडीएफसी ही बच पाया है। बैंक ऑफ अमेरिका ने HDFC को Buy कैटिगरी में रखा है। हालांकि बैंक ऑफ अमेरिका से पहले UBS और CLSA की ओर से भी भारतीय बैंकों की रेटिंग में कटौती की जा चुकी है।
दरअसल बैंकिंग सेक्टर के जानकारों का मानना है कि इस संकट के चलते नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को सबसे ज्यादा झटका लगने वाला है। इसकी एक वजह यह भी है कि एनबीएफसी से कर्ज लेने वाले लोगों को आरबीआई की ओर से तीन महीने तक किस्तें न देने की सुविधा भी नहीं दी गई है।
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