आरबीआई से अनिल अंबानी ग्रुप को बड़ा झटका लगा है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को संस्पेंड कर दिया है। आरबीआई ने प्रशासक की नियुक्ति और कंपनी के भुगतान बाध्यताओं को पूरा करने में विफल रहने के कारण यह कदम उठाया है।
आरबीआई ने कहा कि लेनदारों को विभिन्न भुगतान दायित्वों को पूरा करने में आरसीएल के असफल रहने और शासन संबंधी चिंताओं को देखते हुए उसके बोर्ड को भंग कर दिया गया है। इन समस्याओं को ये बोर्ड प्रभावी तरीके से समाधान करने में असफल रहा है। अब इस कंपनी की सारी शक्तियां आरबीआई के पास आ गई है।
इसी के साथ बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पूर्व कार्यकारी निदेशक नागेश्वर राव वाई को एनबीएफसी के प्रशासक के रूप में भी नियुक्त किया है। बैंक ने एक बयान में कहा है कि वो जल्द ही दिवाला और दिवालियापन (वित्तीय सेवा प्रदाताओं की दिवाला और परिसमापन कार्यवाही और न्यायनिर्णायक प्राधिकरण के लिए आवेदन) नियम, 2019 के तहत कंपनी को लेकर समाधान की प्रक्रिया शुरू करेगा।
इसके साथ ही रिजर्व बैंक राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई से भी ऋण शोधन समाधान पेशेवर के रूप में प्रशासक नियुक्त करने का आग्रह करेगा। पिछले हफ्ते, आरसीएल ने एक नियामक फाइलिंग में खुलासा किया था कि कंपनी अपनी संपत्ति मुद्रीकरण के साथ आगे बढ़ने में असमर्थ है जिसके कारण ऋण सेवा में देरी हो रही है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग (रिलायंस नेवल) के बाद दिवालिया प्रक्रिया के तहत आने वाली अनिल अंबानी समूह की यह तीसरी कंपनी है। अनिल अंबानी की कंपनी एक समय में अच्छा-खासा मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी, उस समय मुकेश अंबानी अपने भाई से पीछे थे, लेकिन आज की तारीख में अनिल दिवालिया होने की कगार पर खड़े हैं और मुकेश अंबानी भारत के सबसे अमीर व्यक्ति।
बताया जाता है कि बंटवारे के समय अनिल तब अपने बड़े भाई से 550 करोड़ रुपए आगे थे। वह तब स्टील टायकून लक्ष्मी मित्तल और अजीम प्रेमजी के बाद तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे।