भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को लगातार चौथी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 फीसद पर बरकरार रखा। खुदरा मुद्रास्फीति के अब भी लक्ष्य से ऊपर रहने के बीच केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान 5.4% पर बरकरार रखा है। केंद्रीय बैंक ने साथ ही महंगाई को लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए जरूरी होने पर बान्ड बिक्री के जरिए बैंकों से अतिरिक्त नकदी निकालने की भी बात कही। रेपो दर में कोई बदलाव नहीं होने का अर्थ है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआइ) में कोई बदलाव नहीं होगा।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किए गए निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 फीसद पर कायम रखने का फैसला किया। साथ ही एमपीसी उदार रुख को वापस लेने के लिए काम करती रहेगी।
दास ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति वृहद आर्थिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि के लिए एक बड़ा जोखिम है। हमारा पूरा ध्यान टिकाऊ आधार पर मुद्रास्फीति को चार फीसद के लक्ष्य पर लाने पर है। उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में रेपो दर में जो 2.5 फीसद की कटौती की है, उसका पूरा असर अभी नहीं हुआ। इसको देखते हुए एमपीसी ने बैठक में रेपो दर को यथावत रखते हुए उदार रुख को वापस लेने के रास्ते पर बने रहने का निर्णय किया है।
महंगाई का आंकड़ा RBI के मुद्रास्फीति के चार फीसद के लक्ष्य से अधिक
RBI ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति में तेजी के बावजूद चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.4 फीसद पर बरकरार रखा है। खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में सालाना आधार पर नरम होकर 6.83 फीसद रही, जो जुलाई में 15 माह के उच्चस्तर 7.44 फीसद पर पहुंच गई थी। महंगाई का यह आंकड़ा आरबीआइ के मुद्रास्फीति के चार फीसद के लक्ष्य से अधिक है।
हालांकि, अच्छी बात मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति में नरमी है और यह पांच फीसद के नीचे है। खुदरा मुद्रास्फीति में से अगर खाद्य और र्इंधन की महंगाई हटा दिया जाता है, तो वह मुख्य मुद्रास्फीति कहलाती है। दास ने यह भी कहा कि महंगाई को काबू में लाने के लिए जरूरी होने पर आरबीआइ बैंकों से अतिरिक्त नकदी निकालने को बान्ड बिक्री पर विचार कर सकता है। उन्होंने कहा कि बान्ड बिक्री का समय और मात्रा उभरती नकदी स्थिति पर निर्भर करेगी। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुमान को भी 6.5 फीसद पर बरकरार रखा है।
दास ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति पर पैनी नजर बनी हुई है। इसका कारण न केवल इसके दहाई अंक में होना है, बल्कि सामान्य से कम मानसून और धीमी बुवाई को देखते हुए भी यह जरूरी है। इसका असर खरीफ उत्पादन और कीमतों पर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, जलाशय का कम स्तर रबी फसलों के लिए अच्छा संकेत नहीं है। साथ ही, कच्चे तेल में पिछले कुछ समय में काफी अस्थिरता देखी गई है।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के चालू तिमाही में घटकर छह फीसद से नीचे और अगली तिमाही में 5.2 फीसद रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि वृद्धिशील एनडीटीएल (शुद्ध मांग और समय देनदारियां) पर वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आइ-सीआरआर) में 10 फीसद की बढ़ोतरी की घोषणा की गई थी। इससे बैंकों से लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपए बाहर आए हैं। आइ-सीआरआर की अवधि शनिवार को समाप्त हो जाएगी।
‘RBI सतर्क रुख अपनाएगा’
दास ने कहा कि आरबीआइ सतर्क रुख अपनाएगा… हमें मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप नकदी का प्रबंधन करने के लिए खुले बाजार में बान्ड बिक्री गतिविधियों (ओएमओ) पर विचार करना पड़ सकता है। इस तरह के परिचालन के लिए समय और मात्रा उभरती नकदी की स्थिति पर निर्भर करेगी।
उन्होंने साफ कहा कि आरबीआइ का मुद्रास्फीति का लक्ष्य चार फीसद है न कि दो से छह फीसद। हमारा उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप रखना है। आरबीआइ ने इसके अलावा कुछ अन्य उपायों की घोषणा की। इसमें शहरी सहकारी बैंकों के लिए ‘बुलेट’ पुनर्भुगतान योजना के तहत सोने के बदले कर्ज (गोल्ड लोन) को दोगुना कर चार लाख रुपए करना शामिल है। साथ ही ग्राहक शिकायत निपटान व्यवस्था को मजबूत करने के मकसद से कुछ बदलाव करने और आंतरिक लोकपाल दिशानिर्देशों को एक मुख्य (मास्टर) दिशानिर्देशों के तहत लाने का फैसला किया गया है। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक छह से आठ दिसंबर, 2023 को होगी।