भारतीय रिजर्व बैंक के सितंबर के कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में नौकरियों को लेकर लोगों में बेहद नकारात्मक रुख का पता चला है। सितंबर 2012 में इस इंडेक्स को पहली बार तैयार किए जाने के बाद नौकरियों के हालात को लेकर पहली बार ऐसा नकारात्मक माहौल देखने को मिल रहा है। आरबीआई के मासिक हाउसहोल्ड सर्वे में शामिल आधे से ज्यादा (52.5%) ने माना कि नौकरियों के लिए हालात बदतर हो चले हैं। वहीं, 33.4 प्रतिशत ने माना कि आने वाले साल में स्थिति और खराब होगी।

कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स को सकारात्मक तब माना जाता है जब आंकड़ा 100 के ऊपर हो। पिछली तिमाही के 95.7 से घटकर यह 89.4 के स्तर पर पहुंच गया है। नरेंद्र मोदी के 2014 में पीएम बनने के बाद यह आंकड़ा पहली बार इतने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। बता दें कि यह सर्वे 13 प्रमुख शहरों में किया गया था। इनमें 5,192 परिवारों को शामिल किया गया था।

आरबीआई के सितंबर के सर्वे में शामिल 26.7% ने कहा कि उनकी आमदनी घट गई है। इससे पहले , सिर्फ एक बार नवंबर 2017 में इससे ज्यादा संख्या में यानी करीब 28 फीसदी ने कहा था कि इनका आय घटी है। हालांकि, आधे से ज्यादा यानी 53 फीसदी ने उम्मीद जताई कि आने वाले साल में उनकी आमदनी बढ़ेगी। सिर्फ 9.6 फीसदी को ऐसा लगा कि उनकी कमाई घटेगी।

वहीं, देश के कुल आर्थिक हालत पर करीब आधे यानी 47.9 प्रतिशत ने माना कि यह और खराब हुई है। आखिरी बार इतनी ज्यादा तादाद में ऐसी भावनाएं दिसंबर 2013 में जाहिर की गई थीं। उस वक्त 54 फीसदी ने कहा था कि अर्थव्यवस्था की हालत बदतर हो चली है। ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि अभी 31.8 फीसदी का मानना है कि आने वाले साल में हालात और बिगड़ेंगे। इससे पहले, सितंबर 2013 में भविष्य के हालात को लेकर ऐसी नकारात्मकता थी, जब 38.6 प्रतिशत ने निकट भविष्य में स्थितियां और खराब होने की आशंका जताई थी।

बता दें कि भारतीय इकॉनमी के कई सेक्टर आर्थिक मंदी की चपेट में हैं। ऑटोमोबाइल सेक्टर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हाल फिलहाल में लाखों लोगों की नौकरियां छिनने की खबरें सामने आई थीं। वहीं, डिमांड में कमी को देखते हुए सरकार ने भी अर्थव्यवस्था के मोर्च पर कई बड़े कदम उठाए। इनमें कॉरपोरेट टैक्स में छूट देना भी शामिल है।