रेटिंग एजेंसी फिच ने फाइनेंशल ईयर 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुमान में बड़ी कमी कर दी है। एजेंसी के मुताबिक इस साल भारत की आर्थिक -5٪ तक गिर सकती है। इससे पहले अप्रैल में फिच ने 0.8 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। एजेंसी के मुताबिक आर्थिक गतिविधियों के थमने और लॉकडाउन की बेहद कड़ी नीति के चलते ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है। फिच ने कहा कि भारत की आर्थिक ग्रोथ के अनुमान को लेकर यह सबसे बड़ी कटौती हुई है और पहले अनुमान 0.8 पर्सेंट का था। अब इसे बदलते हुए अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी की गिरावट का अनुमान जाहिर किया जाता है।
फिच ने कहा कि भारत ने लॉकडाउन की कड़ी नीति का पालन किया है और यह लंबा चला है। शुरुआत में इसके कुछ सप्ताह चलने का ही अनुमान था, लेकिन अब यह अनुमान बदल गया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि उसने मई के अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में वैश्विक जीडीपी के अनुमान में कटौती की है। लेकिन वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में गिरावट अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। फिच ने कहा कि सबसे अधिक कटौती भारत की वृद्धि दर में की गई है। चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी की भारी गिरावट आएगी। पहले भारतीय अर्थव्यवस्था में 0.8 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था।
अर्थव्यवस्था में गिरावट को लेकर फिच ने कहा लॉकडाउन के लंबा खिंचने की वजह से परेशानी हुई है और आर्थिक सुस्ती में इजाफा हुआ है। फिच ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों के जो आंकड़े आ रहे हैं, वे बेहद कमजोर हैं। इसके सात ही एजेंसी ने बीते साल 2019-20 में वृद्धि दर 3.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, इसके साथ फिच ने कहा कि 2021-22 में भारत की वृद्धि दर सुधार के साथ 9.5 फीसदी पर पहुंच जाएगी। फिच रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा, ‘2020 में वैश्विक जीडीपी में अब 4.6 फीसदी की गिरावट का अनुमान है।’
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