संसद में जीएसटी विधेयक पारित होने की आस बंध गई है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने सदन से लेकर बाहर तक विपक्ष से सुलह का रुख दिखाया। जीएसटी पर सहमति की उम्मीद तब और जग गई जब देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से बात की जो विधेयक पर अपनी तीन आपत्तियों को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया पर पार्टी के भीतर मंथन करेगा। मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से चाय पर लंबी चर्चा कर उनका रुख जाना।
इस मुलाकात के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस अपनी चिंताओं से जुड़े तीन मुद्दों पर आंतरिक चर्चा पूरी कर ले, उसके बाद सरकार नए सिरे से विपक्षी दल से संपर्क साधेगी। पिछले साल सत्ता में आने के बाद से मोदी ने पहली बार मुख्य विपक्षी दल से सीधा संपर्क साधा है। उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में सुगम कामकाज के मकसद से ऐसा किया।
मोदी ने मनमोहन और सोनिया को अपने आवास पर चाय पर बुलाया था जहां संसद के समक्ष लंबित विभिन्न मुद्दों पर वार्ता हुई और खासतौर पर पिछले दो संसद सत्रों से लंबित कई विधेयकों पर चर्चा हुई। बैठक में संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। पौने घंटे तक चली बैठक के बाद जेटली ने कहा, कांग्रेस नेताओं ने तीन मुद्दों को लेकर अपना रुख रखा।
कांग्रेस की तीन आपत्तियों में संविधान विधेयक में प्रस्तावित 18 प्रतिशत की दर को स्पष्ट करने की मांग, वस्तुओं की राज्यों के बीच आपूर्ति पर एक प्रतिशत अतिरिक्त कर पर आपत्ति और पांच साल के लिए राजस्व घाटे के लिए राज्यों को शत प्रतिशत मुआवजे की मांग शामिल हैं।
जेटली ने कहा, इस विधेयक के इतिहास और पृष्ठभूमि व इन मुद्दों पर सरकार के जवाब पर उन्हें विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहा, कांगे्रस के नेता अपनी पार्टी के भीतर विचार-विमर्श करेंगे और पार्टी के भीतर उनके विचार-विमर्श के बाद इस विषय पर सरकार और उनके बीच नए सिरे से बातचीत होगी। हमने उनकी ओर से रखे गए रुख पर भी विचार किया है।
जेटली ने कहा कि नायडू दोनों सदनों में कांग्रेस के नेताओं से संपर्क में रहेंगे और संसद में लंबित विशेष विधेयकों पर चर्चा करेंगे ताकि अगले सप्ताह काम आगे बढ़ सके। विधेयक राज्यसभा में अटका है जहां भाजपानीत राजग के पास इसे पारित कराने के लिहाज से पर्याप्त संख्या बल नहीं है।
इससे पहले जीएसटी विधेयक पर बदले माहौल का असर शुक्रवार को बाजार पर भी दिखाई दिया। जीएसटी समेत कुछ दूसरे अहम विधेयकों को पारित कराने की दिशा में विपक्ष के साथ बेहतर माहौल बनाने के प्रयासों की झलक लोकसभा में भी देखने को मिली। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी पर केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत की गुरुवार की टिप्पणी से आई तल्खी को सरकार ने शुक्रवार को शीघ्रता से दूर किया।
संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने सोनिया गांधी के गुरुवार केभाषण की तारीफ कर माहौल को खुशगवार बनाने की कोशिश की। हालांकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के दबाव में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जीएसटी विधेयक पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया। उधर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने उम्मीद जताई कि इस विधेयक को जल्द पारित करा लिया जाएगा। सरकार इस संबंध में प्राप्त सुझावों पर विचार करने को तैयार है ताकि इसमें सभी के मुताबिक एक साझा आधार बनाया जा सके।
सदन में वेंकैया नायडू ने कहा कि कल सोनिया जी ने अच्छा भाषण दिया। सबसे अच्छा लगा कि वे हिंदी में बोलीं। इस पर सोनिया गांधी ने कहा कि वे हिंदी में बोलती रही हैं। वेंकैया ने कहा- अच्छी हिंदी, अच्छी हिंदी बोलीं। क्योंकि मैं भी गैर हिंदी क्षेत्र से आता हूं, और मैं बहुत अच्छी हिंदी नहीं बोल सकता। इस पर सोनिया गांधी समेत कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्य ठहाके लगाकर हंसे। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सोनिया जी की एक-दो बातों से मेरी मतभिन्नता थी लेकिन उन्होंने कांग्रेस के विचार रखे। खड़गे जी की कुछ बातों से मुझे निराशा हुई।
उधर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता के दबाव में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जीएसटी विधेयक पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया। कांंग्रेस उपाध्यक्ष ने मोदी सरकार के रवैये की भी आलोचना की और कहा कि कामकाज करने का यह सामान्य तरीका नहीं है। उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, उन्हें स्वाभाविक तरीके से विपक्ष के साथ बातचीत करनी चाहिए।
गौरतलब है कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक सहित महत्त्वपूर्ण विधेयकों पर सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव की स्थिति है जिसके मद्देनजर मोदी ने शुक्रवार को मुख्य विपक्षी दल की ओर सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया। राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी जीएसटी विधेयक पारित कराने के पक्ष में है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सरकार के साथ उनके कुछ मतभेद हैं। उन्होंने कहा, हमारा रुख साफ है और तीन बातों को लेकर सरकार से हमारे मतभेद हैं। इसलिए बातचीत हो रही है। उन्होंने कहा, हम जीएसटी विधेयक लेकर आए थे और यह लोगों के लिए लाभकारी है। हम इसे पारित कराना और सरकार के साथ सहयोग करना चाहते हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि पार्टी चाहती है कि कर की सीमा तय होनी चाहिए। हम चाहते हैं कि गरीबों पर कर न लगे। जीएसटी विधेयक हम लेकर आए थे और हम इसे पारित कराना चाहते हैं।
उधर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने उम्मीद जताई कि इस विधेयक को जल्द पारित करा लिया जाएगा। सरकार इस संबंध में प्राप्त सुझावों पर विचार करने को तैयार है ताकि इसमें सभी के मुताबिक एक साझा आधार बनाया जा सके। सिन्हा ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हम संसद में अपने सहयोगियों के साथ लगातार विचार-विमर्श कर रहे हैं। हमें इसकी काफी उम्मीद है कि हम जीएसटी को पारित करा लेंगे। विपक्ष के हमारे सहयोगियों से जो भी तर्कसंगत सुझाव हमें मिलेंगे, हम उन पर विचार करने को तैयार हैं।
जीएसटी लागू होने पर एक फीसद अतिरिक्त कर लगाने के बारे में उन्होंने कहा इस बारे में अनेक सुझाव दिए जा रहे हैं। यह जीएसटी पर चल रही बहस में अहम मुद्दा बन गया है। उन्होंने कहा, हमें इसका हल ढूंढ़ना होगा जो कि सभी पक्षकारों को स्वीकार्य हो। हमें इसमें सभी के लिए एक साझा आधार तलाशना होगा। संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा था कि सर्वदलीय बैठक में पहुंचे 32 दलों में से 30 दल जीएसटी के पक्ष में थे और उन्होंने इसे जल्द पारित कराने पर जोर दिया।
जीएसटी अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में एक प्रमुख सुधार होगा। इसमें एक दर्जन से अधिक अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जाएंगे। सरकार ने जीएसटी को एक अप्रैल 2016 से लागू करने का लक्ष्य रखा है।