PF Account में आपकी पूरे जीवन की जमा पूंजी होती है। लेकिन नौकरी बदलने के दौरान या नौकरी छोड़ने के बाद आप अपने पीएफ अकाउंट को ट्रांसफर कराना भूल जाते हैं। जिस वजह से आपको काफी बड़ा नुकसान हो सकता है और आपका पूरा पीएफ ब्लॉक हो सकता है। अगर आप भी ये गलती नहीं करना चाहते हैं। तो आपको पीएफ अकाउंट से जुड़े सभी नियम की जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि जागरूकता के अभाव में अपने द्वारा की गई गलती का भी आभास नहीं होता। जो कि भविष्य में आपके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है।
क्या PF अकाउंट पर नौकरी छोड़ने पर भी मिलता है ब्याज – अगर आपने हाल ही में नौकरी छोड़ी है और आपके पीएफ अकाउंट मे पैसे जमा है। तो आपको निश्चित रहना चाहिए। क्योंकि सरकार द्वारा पीएफ अकाउंट में जमा पूंजी पर हर साल ब्याज दिया जाता है। वहीं अगर आपकी उम्र 55 साल है और आपके नौकरी छोड़ने के तीन साल तक पीएफ अकाउंट में कोई कॉन्ट्रिब्यूशन नहीं होता है। तो आपका पीएफ अकाउंट निष्क्रिय हो सकता है।
ऐसे में आपको पीएफ अकाउंट में जमा पूंजी पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। इसलिए आप जब भी नौकरी छोड़े तो तीन साल के अंदर आपको अपने पीएफ अकाउंट में से कुछ राशि निकाल लेनी चाहिए। जिससे आपके पीएफ अकाउंट में ट्रांजैक्शन होता रहेगा।
PF अकाउंट निष्क्रिय होने के बाद जमा पूंजी का क्या होता है – सरकार के नियम के अनुसार पीएफ अकाउंट पर मिलने वाली ब्याज पर टैक्स लगता है। वहीं अगर आपका पीएफ अकाउंट निष्क्रिय हो गया है। तो आपकी पीएफ अकाउंट की जमा पूंजी सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में चली जाएगी। ईपीएफ और एमपी एक्ट, 1952 की धारा 17 के जरिए छूट पाने वाले ट्रस्ट भी सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड के नियमों के दायरे में आते हैं। इन्हें भी खाते की रकम को वेलफेयर फंड में ट्रांसफर करना होता है।
ट्रांसफर हुई रकम पर कर सकते हैं दावा – सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में बिना क्लेम के 25 साल तक पीएफ अकाउंट से ट्रांसफर हुई रकम रहती है। इस दौरान पीएफ अकाउंट होल्डर रकम पर दावा कर सकते हैं। अगर आप 55 साल में रिटायर होते हैं तो खाते को निष्क्रिय ना होने दें। अंतिम बैलेंस जल्द से जल्द निकाल लें। बता दें कि पीएफ अकाउंट 55 साल तक निष्क्रिय नहीं होगा।
कैसे कर सकते हैं क्लेम – पीएफ के बंद खाते से जुड़े क्लेम निपटाना जरूरी है। इसके लिए क्लेम को कर्मचारी के नियोक्ता सर्टिफाइड करते हैं। हालांकि जिन कर्मचारियों की कंपनी बंद हो गई है। ऐसे में क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो बैंक केवाईसी के आधार पर वेरिफाई करना होगा। केवाईसी डॉक्यूमेंट में पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं। वहीं असिस्टेंट प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर या अन्य अधिकारी रकम के हिसाब से अकाउंट ट्रासंफर की मंजूरी दे सकते हैं।