टाटा मोटर्स ने पश्चिम बंगाल में नैनो प्लांट (Nano Plant) के मामले में बड़ी जीत हासिल की है। टाटा ग्रुप को पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीआईडीसी) से 766 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा। यह मुआवजा टाटा ग्रुप को सिंगूर में अपने नैनो कार के प्लांट को बंद करने के लिए नुकसान के लिए दिया जाएगा। बता दें कि इस प्लांट को लगाने की अनुमति वामपंथी सरकार के दौरान मिली थी। हालांकि 2008 में भूमि विवाद के कारण 2008 में इस प्लांट को गुजरात के साणंद में शिफ्ट कर दिया गया।

क्या है पूरा मामला?

2006 में जब पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार थी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए। इस दौरान टाटा मोटर्स को हुगली जिले के सिंगूर में नैनो का प्लांट लगाने के लिए 1000 एकड़ जमीन दी गई। इस जगह पर टाटा का प्लांट बनना था। इस जमीन से कई किसान जुड़े थे जो यहां खेती करते थे। ऐसे में इसका भारी विरोध हुआ। 25 मई 2006 को टाटा के अधिकारी सिंगूर जमीन देखने पहुंचे तो वहां लोगों ने भारी विरोध किया। 17 जुलाई 2006 को पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम ने हुगली के डीएम को जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव दिया। 3 दिसंबर 2006 को वहां की विपक्षी नेता ममता बनर्जी ने कोलकाता में आमरण अनशन शुरू किया। 3 अक्टूबर 2008 को रतन टाटा ने इस प्लांट को सिंगूर से बाहर ले जाने की घोषणा की।

क्या हुआ फैसला?

इस फैसले से टाटा मोटर्स को भारी नुकसान हुआ। टाटा ग्रुप इस मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी WBIDC के पास पहुंचा और उससे मुआवजे के जरिए भरपाई किए जाने का दावा पेश किया था। इस मामले में अब टाटा मोटर्स को बड़ी जीत मिली है। टाटा मोटर्स की ओर से कहा गया कि तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने Tata Motors Ltd के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है। टाटा मोटर्स को 765.78 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। इसमें 1 सितंबर 2016 से WBIDC से वास्तविक वसूली तक 11% प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी शामिल है।