भले ही केंद्र सरकार ने अपने आर्थिक पैकेज में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बड़ा पैकेज दिया है, लेकिन इंडस्ट्री इस पैकेज को लेकर भ्रमित है। MSME ने सरकार से इस पैकेज का लाभ उठाने के लिए अर्हता, सैलरी पेमेंट्स और टेंडर्स को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है। MSME इंडस्ट्री के संगठन ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गनाइजेशन (AIMO) ने कहा कि उसके सदस्य इस पैकेज की मेथडोलॉजी को लेकर भ्रमित हैं। AIMO के पूर्व अध्यक्ष के.ई. रघुनाथन ने कहा, ‘वित्त मंत्री ने पैकेज को जारी करते हुए कहा था कि 3 लाख करोड़ रुपये की राशि से 50 लाख एमएसएमई को लाभ होगा।
देश में कुल MSME 6 करोड़ हैं और मौजूदा पैकेज से 8 पर्सेंट से ज्यादा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम इकाईयों को ही कवर किया जा सकता है। हमारे सदस्य यह जानना चाहते हैं कि क्या MSME सेक्टर के लिए एक और पैकेज आएगा।’ उन्होंने कहा कि हमारे सेक्टर को लॉकडाउन के बाद भी अनिश्चितता का सबसे ज्यादा डर सता रहा है। इसके अलावा एक बड़ी चिंता यह भी है कि MSME का सबसे ज्यादा 63 फीसदी बकाया राज्य सरकारों और उनके उपक्रमों पर ही है। AIMO ने कहा कि राज्य हमारी पेमेंट को लेकर फंड की कमी का बहाना बताते रहे हैं और अब तक पेमेंट लटकी हुई है।
यही नहीं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का कहना है कि 1 जून से कर्ज पर ईएमआई चालू हो जाएगी या फिर नहीं, इस संबंध में अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। इसके अलावा सैलरी के भुगतान, एनपीए खातों को नियमित करने, कर्ज को पुनर्गठित पर भी स्पष्टता नहीं है। यही नहीं नए लोन के लिए कौन से उद्यमी योग्य हैं, इस बारे में भी स्पष्टता की जरूरत है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों ने कहा कि ग्लोबल टेंडर को लेकर 200 करोड़ रुपये की सीमा तय की गई है।
हालांकि अब भी यह स्पष्ट किए जाने की जरूरत है कि विदेशी कंपनियों के भारतीय कारोबारी और प्रतिनिधि इन टेंडर्स में हिस्सा ले सकते हैं या नहीं। बता दें कि MSME के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 200 करोड़ रुपये तक के टेंडर्स में विदेशी कंपनियां हिस्सा नहीं ले सकेंगी।
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