भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर संकट और गहराता नजर आ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए 25% अतिरिक्त शुल्क हटे बिना डील आगे नहीं बढ़ पाएगी। हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत केवल तभी फिर से शुरू हो सकती है जब 25 प्रतिशत अतिरिक्त ‘ऑयल पेनल्टी’ का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा।

वॉशिंगटन डीसी से एक टीम को 25 अगस्त को नई दिल्ली आकर ट्रेड डील पर चर्चा करनी थी लेकिन अमेरिका ने बातचीत को ‘रोक’ दिया क्योंकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीद को एक बड़ी अड़चन के रूप में पेश किया था। ट्रंप ने 6 अगस्त को घोषणा की थी कि रेसीप्रोकल टैरिफ 25 प्रतिशत के ऊपर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। और 27 अगस्त से भारत प अब 50 प्रतिशत टैरिफ लागू हो गया है।

50% टैरिफ में नवंबर तक 25% की कटौती करेगा अमेरिका, RBI भी दो बार घटा सकता है रेपो रेट! नोमुरा का अनुमान

भारत से निर्यात पर अमेरिका का 50 प्रतिशत टैरिफ बुधवार से प्रभावी हो गया। अधिकारी ने कहा कि सरकार अमेरिका के साथ लगातार बातचीत कर रही है और केवल 25 अगस्त को तय हुई वार्ता का दौर ही टाल दिया गया है।

बिगड़ गए भारत-यूएसए के रिश्ते!

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से अपने अच्छे रिश्तों के बावजूद अचानक 50% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी थी। 7 अगस्त से 25% टैरिफ लागू हुआ जबकि 25% अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी हो गया। अब भारत पर खुल 50 प्रतिशत टैरिफ अमेरिका लगा चुका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि जब तक टैरिफ को लेकर विवाद नहीं सुलझ जाता तब तक भारत के साथ ट्रेड डील पर कोई बातचीत नहीं होगी।

अमेरिका को मात! 2038 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, रिपोर्ट में दावा

भारत को हाल ही में कुछ दिनों पहले अलास्का में हुई डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से कुछ उम्मीदें थी लेकिन वहां से भी कोई नतीजा नहीं निकला। भारत को इस बातचीत से उम्मीद थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सीजफायर को लेकर कोई खबर सामने आएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

अब अधिकारियों के बयान से यह साफ हो गया है कि ट्रेड डील को लेकर बातचीत क्यों रुक गई? जबकि भारत सरकार की ओर से कहा जा रहा था कि अगस्त तक ट्रेड डील पर मोहर लग जाएगी।

अधिकारी ने कहा, “हो सकता है कि हम इस समय व्यापार समझौते पर बातचीत न कर रहे हों, लेकिन संवाद अब भी जारी है। समझौते पर बातचीत का मतलब होगा कि पहले अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क के मुद्दे को सुलझाना पड़ेगा। क्योंकि अगर हम व्यापार समझौता कर भी लें और अतिरिक्त टैरिफ बरकरार रहे, तो यह हमारे निर्यातकों के लिए किसी मायने का नहीं होगा।”

उदाहरण के लिए, यह पता चला है कि इस हफ्ते की शुरुआत में हुई वर्चुअल अमेरिका-भारत 2+2 इंटरसेशनल डायलॉग के दौरान भी व्यापार से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। 26 अगस्त को आयोजित इस वर्चुअल बैठक की संयुक्त अध्यक्षता अमेरिका की साउथ और सेंट्रल एशियन अफेयर्स ब्यूरो की सीनियर ब्यूरो ऑफिशियल बेथनी पी. मॉरिसन और इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी अफेयर्स के एक्टिंग असिस्टेंट सेक्रेटरी ऑफ डिफेंस जेडीडायाह पी. रॉयल ने की। भारत की ओर से इसमें विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव नागराज नायडू काकनूर और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव विश्वेश नेगी शामिल हुए।

ट्रेड डील को लेकर क्या चाहता है अमेरिका?

अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी के बाजारों को उसके लिए खोल दे। जबकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं करेगा चाहे उन्हें इसके लिए कितनी ही बड़ी व्यक्तिगत कीमत क्यों न चुकानी पड़े?

साफ है कि अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने के चलते लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ के चलते भारत-अमेरिका के बीच अब ट्रेड डील को लेकर बातचीत अटक गई है। ट्रंप की ओर से लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को लेकर यह मामला और ज्यादा उलझ गया है। अमेरिका इस बात से नाराज है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है।