देश पर छाए कोरोनावायरस संकट के मद्देनजर भारत का आर्थिक विकास अगले वित्त वर्ष 2 परसेंटेज पॉइंट्स तक गिर सकता है। यह कहना है पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का। न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि भारत पहले ही काफी ऊंची बेरोजगारी दर देख रहा था और अब कोरोनावायरस ने संकट को और ज्यादा बढ़ा दिया है।
सिन्हा ने कहा, “मेरा अनुमान है कि देश में लगे 21 दिन के लॉकडाउन से जीडीपी में कम से कम 1 फीसदी की गिरावट आएगी। और अगर आप लॉकडाउन से पहले कोरोनावायरस की वजह से खड़ी हुई परेशानियों और भविष्य की चिंताओं को जोड़ लें तो वित्त वर्ष 2020-21 में दो परसेंटेज पॉइंट की गिरावट हो सकती है।”
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यशवंत सिन्हा, जो कि मोदी सरकार के मुखर आलोचकों में से एक हैं ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था पहले ही पिछले 7-8 तिमाहियों से नीचे जा रही है। यह गिरावट कोरोनावायरस महामारी के आने से पहले भी जारी थी। अगर हमें गरीबी को प्रभावी ढंग से खत्म करना है तो हमारी विकास दर कम से 8% होनी चाहिए, लेकिन हमारी विकास दर अभी महज 5 फीसदी ही है।
कोरोनावायरस संकट के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से जारी किए गए आर्थिक राहत पैकेज पर सिन्हा ने कहा कि इस समस्या में खर्च 1 लाख 70 हजा करोड़ होगा, जिसका मतलब है कि सरकार का वित्तीय घाटा करीब 1 परसेंटेज पॉइंट (100 bps) घटेगा। इससे सरकार के खर्चों पर असर पड़ेगा, क्योंकि उसके पास निवेश के लिए कम राशि बचेगी। इसलिए यह देश के लिए बेहद कठिन हालात हैं औ हमें इस स्थिति में संकट से बाहर आने के लिए कुछ नया करने की जरूरत है।
सिन्हा ने आगे कहा, “सरकार ने रोजाना कमाने वालों की पहचान ही नहीं की। उनके पास आईडी कार्ड नहीं होता। खासकर छोटे शहरों और गांव में रहने वालों के पास। इसलिए उनके पास पैसे कैसे पहुंचेंगे यह अभी भी एक मुद्दा है।” जब पूर्व वित्त मंत्री से पूछा गया कि क्या भारत 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है, तो उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में यह असंभव है। इन हालाकों में हम 2030 या 2032 तक भी भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था नहीं बना सकते। खासकर तब जब महामारी पूरी दुनिया पर असर डाल रही है।