पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी को अपनी टीम में शामिल किया है। ममता बनर्जी ने कोरोना संकट में आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से निपटाने के लिए एक टीम का गठन किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुताबिक सूबे के राजस्व पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। बनर्जी का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी आर्थिक गतिविधियों के जल्द सुचारू रूप से चलने की संभावनाएं कम ही हैं। नोबेल विजेता भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी कोरोना वायरस से निपटने के लिए बनी ग्लोबल अडवाइजरी कमिटी का हिस्सा बनाया गया है।

सीएम ममता बनर्जी की इस समिति में कुछ डॉक्टरों को भी रखा गया है। एक सीनियर नौकरशाह ने कहा कि इस कमिटी को तैयार करने पर काम किया जा रहा है। ममता बनर्जी ने कहा, ‘लॉकडाउन के चलते सूबे को कोई राजस्व नहीं मिल पा रहा है। हम यह नहीं जानते कि आखिर यह हालात कब तक जारी रहेंगे। हमें भविष्य के लिए प्लान तैयार करना होगा। हमारी सरकार ग्लोबल एडवाइजरी कमिटी राज्य में कोरोना के संकट से निपटने के लिए Covid-19 रेस्पॉन्स पॉलिसी पर काम कर रही है। नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी भी इस कमिटी का हिस्सा होंगे।’

अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने 28 मार्च को सीएम से बात की थी और लॉकडाउन से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की। बता दें कि सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राज्य़ के लिए 25,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी करने की मांग की है। इससे पहले उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की थी कि राज्य की ओर लिए गए कर्जों पर ब्याज अदायगी में भी कुछ महीनों के लिए छूट दी जाए। पश्चिम बंगाल देश के उन राज्यों में से है, जो सबसे ज्यादा कर्ज के संकट में घिरे हुए हैं। पश्चिम बंगाल को सालाना 50,000 करोड़ रुपये का ब्याज देना पड़ता है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से राज्य की अपील पर अब तक कोई भरोसा नहीं दिया गया है।

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