आखिरकार भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो ही गई। समझ में नहीं आया कि आखिर मामला दर्ज करने में दिल्ली पुलिस इतनी जलालत क्यों उठाती रही? एक छोटी सी घटना पर प्राथमिकी दर्ज करने में कभी इतनी देर नहीं लगाने वाली दिल्ली पुलिस किस खिंचाई का इंतजार करती रही? जिन्होंने अपना नहीं, बल्कि देश के मान-सम्मान और गरिमा को बुलंदियों पर पहुंचाकर हमें गौरवान्वित किया, उनके प्रति इतनी लापरवाही दिखाकर दिल्ली पुलिस और कितना गिरना चाहती थी?

महिला खिलाड़ियों का यौन शौषण करने का अधिकार कैसे मिला!

माना कि बाहुबली भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष अपने को प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के करीबी होने की डींग हांकते रहे हों, लेकिन उन्हें यह अधिकार किसी ने नहीं दिया कि वह महिला खिलाड़ियों का यौन शौषण जैसा घृणित अपराध करें। पांच बार भाजपा और एक बार समाजवादी पार्टी से सांसद रह चुके 66 वर्षीय बाहुबली की गिरफ्तारी इस समय टालने के उद्देश्य के पीछे संभवतः वर्ष 2024 के आम चुनाव को ध्यान में रखा जा रहा है।

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भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह। (एक्सप्रेस फोटो)

इसलिए कि बाहुबली का थोड़ा इशारा हुआ नहीं कि भाजपा को पूर्वांचल की कई लोकसभा सीटों पर जोर का झटका लग सकता है। नेपाल बॉर्डर से लेकर सरयू-घाघरा नदी के क्षेत्र तक बाहुबली की तूती बजती है। पचासों आपराधिक मामले दर्ज होने के कारण कई बार इन्होंने जेल यात्रा भी की है, लेकिन इस चुनावी कठिन वर्ष में बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह को जेल भेजना भाजपा के लिए परीक्षा की घड़ी है।

बृजभूषण शरण सिंह का थोड़ा इतिहास समझते हैं। टाडा की वजह से 1992 में मुंबई के जेजे हॉस्पिटल का शूटआउट था। दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम कासकर को अरुण गवली गैंग के शूटर्स ने मार दिया था। बदले में डी-कंपनी के छोटा राजन, छोटा शकील, सुभाष सिंह ठाकुर और अन्य ने 22 सितम्बर, 1992 को जेजे हॉस्पिटल शूटआउट में गवली के शूटर्स शैलेश हालदनकर और विपिन की हत्या कर दी थी। इस शूटआउट में मुंबई पुलिस के दो सिपाही भी मारे गए थे।

बृजभूषण और यूपी पुलिस के एक इन्स्पेक्टर वीरेंद्र राय पर आरोप लगा कि डॉन दाऊद इब्राहिम के शूटर्स को ठहराने का इंतज़ाम इन्हीं दोनों ने कराया था। बृजभूषण टाडा के तहत जेल में बंद रहे। टाडा मामले में अभियोग लगाए जाने के बाद बृजभूषण को टिकट से वंचित कर दिया गया था, तो उनकी पत्नी केकती देवी को भाजपा ने गोंडा से मैदान में उतारा था, और वह जीत गईं। पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं।

पहलवानों ने यौन शोषण के अलावा बृजभूषण पर तानाशाही और मनमानी करने का भी आरोप लगाया गया है। जंतर-मंतर पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पहलवानों ने कहा कि वह मेंटल टॉर्चर से जूझ रहे हैं। इससे पहले भी जनवरी 2023 में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत कई पहलवान जंतर-मंतर पर जुटे थे और अपनी बात रखी थी। उस समय खेल मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद पहलवानों ने प्रदर्शन वापस ले लिया था। तब एक कमेटी का भी गठन किया गया था। बीती रात जंतर मंतर पर धरने पर बैठे खिलाड़ियों पर हमले से माहौल गर्म हो गया है।

वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि समाजवादी पार्टी को वोट दोगे तो पाकिस्तान खुश होगा। इसके अलावा फरवरी 2022 में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि ओवैसी हमारा मित्र है। वह पुराना क्षत्रिय है और भगवान राम का वंशज है। पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि ‘योगीराज’ में आज विधायक और सांसद अधिकारियों के पैर छू रहे हैं।

किसी में जिगरा नहीं है। ऐसे कई बयान हैं, जिनकी वजह से वह चर्चा में रहे हैं। गंभीर आरोपों की जांच के लिए निगरानी समिति के गठन के बाद धरना समाप्त करने के तीन महीने बाद पहलवानों ने फिर प्रदर्शन शुरू किया है। खेल मंत्रालय ने छह सदस्यीय निगरानी पैनल के निष्कर्षों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है, जिसने 5 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

पहलवानों ने कमेटी पर भी सवाल उठाए और कहा कि मंत्रालय और कमेटी से तीन महीने से जवाब मांगने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन न वक्त मिल रहा है, न जवाब। उन्होंने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट जमा हो गई, लेकिन उसमें क्या है, यह हमें नहीं पता । जिला पुलिस अधीक्षक पर पिस्तौल तान देना, पहलवान को भरे मंच पर थप्पड़ जड़ देना जैसे इनकी आदत में शुमार है।

सभी महिला पहलवानों को मिली पुलिस सुरक्षा

बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कराने वाली किशोरी सहित सात महिला पहलवानों को सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। सुरक्षा में एक-एक सिपाही को तैनात किया गया है जिनकी ड्यूटी 12-12 घंटे की होगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए दिल्ली रेंज के अधिकारियों ने महिला पहलवानों की सुरक्षा मुहैया कराई है। सांसद के खिलाफ नाबालिग पहलवान की शिकायत पर पोस्की व छेड़खानी की धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

इन धाराओं में कम-से-कम पांच वर्ष और अधिकतम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। दूसरी प्राथमिकी छह महिला पहलवानों की शिकायत पर छेड़खानी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है। इन धाराओं के तहत तीन से सात साल की सजा का प्रावधान है। जांच के लिए डीसीपी के नेतृत्व में जल्द ही कमिटी गठित होगी। चरणबद्ध तरीके से सबूत ढूंढने का प्रयास होगा। पहलवानों से कोर्ट में बयान दर्ज करने के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

पहलवानों ने सांसद पर 2012 से 2022 तक अलग अलग-जगहों पर छेड़खानी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सांसद पर देश ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय इवेंट के दौरान विदेश में भी यौन शौषण का आरोप लगाया है।

दूसरी ओर भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने फेडरेशन से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। साथ ही उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि यदि पीएम, गृहमंत्री अमित शाह या भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा कह दें तो वह इस्तीफा देने में एक मिनट भी समय नहीं लगाएंगे और इस्तीफा दे देंगे । मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब तक उन्हें मुकदमे की प्रति नहीं मिली है, लेकिन उन्हें जानकारी मिली है कि मुकदमा दर्ज हो गया है।

सर्वोच्च न्यायालय और जांच एजेंसी पर उन्हें पूरा भरोसा है कि वह निर्दोष साबित होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे प्रकरण में उद्योगपतियों और कांग्रेस का हाथ है। जंतर-मंतर पर धरना दे रहे पहलवानों से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के मिलने पर अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें तथ्यों की जानकारी नहीं है। सच्चाई की जानकारी मिलने पर वह भी पाश्चाताप करेंगी। सबको पता है कि मैं निर्दोष हूं। सांसद के समर्थन में अयोध्या हनुमानगढ़ी के संत बृजमोहन दास ने कहा कि आरोप लगाना कोई बड़ी बात नहीं है, उसकी जांच होगी।

जगतगुरु रामादिनेशाचार्य ने कहा कि कार्यवाही का दबाव बनाया जाएगा, तो संत समाज भी धरना देगा। बलरामदास ने सांसद के समर्थन में कहा है कि आरोप राजनीति से प्रेरित है। आरोपित तो अपने बचाव में माहौल बनाएगा ही, लेकिन निष्पक्ष जांच से ही सच सामने आएगा। पहलवानों का धरना अभी खत्म नहीं हुआ है और अब उनकी मांग है कि अध्यक्ष की गिरफ्तारी हो, अन्यथा आरोपी, जो एक दबंग और बाहुबली है, अपना हथकंडा अपनाकर पहलवानों को परेशान करता रहेगा।

जो भी हो माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद तो देना ही पड़ेगा कि यदि वहां से आदेश नहीं हुआ होता तो गिरफ्तारी का जो डर बाहुबली को सताने लगा है, उससे वह अब तक बेपरवाह ही था। होना यह चाहिए था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद तुरंत कमिटी का गठन करके जांच शुरू कर दी जाती।

सर्वोच्च न्यायालय ने जो कदम उठाया है, उससे तो यही लगता है कि इस मामले के किसी पक्ष द्वारा किसी भी लापरवाही की स्वीकृति उसे नहीं मिलेगी । अब समय का इंतजार तो करना ही पड़ेगा । सच तो यह है कि सांसद इतने कद्दावर हो चुके हैं कि उन्हें कम भारतीय जनता पार्टी को उनकी जरूरत अधिक हों गई है । अगले चुनावी वर्ष के लिए पार्टी में उनका रहना जीत के लिए आवश्यक हो चुका हैं; क्योंकि उस क्षेत्र में वह पार्टी की मजबूरी और पर्याय बन चुके हैं।

Senior Journalist Nishi kant Thakur.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)