Rahul Gandhi Bharat Jodo Yatra Impact For 2024 Elections: 7 सितंबर से अब तक देश के हर कोने में यही बात गूंजती रही है कि क्या कन्याकुमारी से श्रीनगर (Kanyakumari To Srinagar) तक की कांग्रेस की यह दुरूह भारत जोड़ो यात्रा सही-सलामत श्रीनगर (Srinagar) पहुंच जाएगी? और, यही तो यात्रा के समापन के दौरान गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) को चुनौती देते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि अगर जम्मू-कश्मीर के हालात सही हैं, तो वह जम्मू से श्रीनगर (Jammu To Srinagar) तक की पदयात्रा क्यों नहीं करते? सच में यह लंबा सफर बहुत ही कठिन था, लेकिन पार्टी की एकजुटता (Solidarity), जनसमर्थन (Public Support) और शीर्ष नेतृत्व ने इस पहली यात्रा को सफल बना दिया।
‘नफरत’ के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बनी यात्रा: कांग्रेस
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस यात्रा की व्याख्या करते हुए बताया कि ‘भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया एक जनांदोलन (Mass Movement) है, जिसका उद्देश्य नई दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित विभाजनकारी राजनीति (Divisive Politics) के खिलाफ देश को एकजुट करना है। इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन (Muthuvel Karunanidhi Stalin) द्वारा 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी में प्रायोजित किया गया था। इसे मूल्य वृद्धि, बेरोजगारी, राजनीतिक केंद्रीकरण और विशेष रूप से ‘भय और कट्टरता (Fear and Bigotry)’ की राजनीति और ‘नफरत (Hate)’ के खिलाफ लड़ने के लिए बनाया गया था’।
मतभेद के बावजूद कायम होगी विपक्षी एकता: राहुल गांधी
तिरंगा फहराने के बाद श्रीनगर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में राहुल गांधी ने विपक्षी एकता पर किए गए प्रश्न के उत्तर में कहा कि विपक्षी एकता बातचीत और दृष्टिकोण के बाद आती है और यह कहना सही नहीं है कि विपक्ष बिखरा है। उन्होंने स्वीकार किया कि मतभेद तो हैं, लेकिन वह विपक्ष साथ खड़ा होगा और लड़ेगा; क्योंकि एक तरफ कांग्रेस का नजरिया है और दूसरी तरफ भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का अहंकार तथा नफरत का नजरिया है। यात्रा का लक्ष्य भारत को जोड़ने का था। यह यात्रा नफरत और हिंसा के खिलाफ थी।
धारा-370 हटने से ही राहुल गांधी लाल चौक पर फहरा सके झंडा: BJP
उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि धारा-370 समाप्त होने की वजह से ही राहुल गांधी ने शांति से श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया। भाजपा प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने कश्मीर में ऐसा माहौल बना दिया है कि हर भारतीय वहां आसानी से झंडा फहरा सकता है। राहुल गांधी के नेतृत्व में की जा चुकी इस यात्रा में कई विपक्षी पार्टियों को बुलाया गया था, जिसमें से कई दलों ने यात्रा से दूरी बनाने का फैसला किया।
वहीं, यात्रा के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि मैंने इस यात्रा से बहुत कुछ सीखा है और लोगों ने अपार समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कोई भाजपा नेता इस तरह से नहीं चल सकता, क्योंकि वे डरे हुए हैं। पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती राहुल की इस यात्रा के समापन कार्यक्रम में भी शामिल हुईं। उन्होंने बर्फबारी के बीच लोगों को संबोधित किया और राहुल गांधी की खूब प्रशंसा की। मुफ्ती ने कहा कि राहुल ने यात्रा में कहा था कि वे कश्मीर में अपने घर आ गए हों, ऐसा लगता है, लेकिन यह उनका घर ही है। पीडीपी नेता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि गोडसे की विचारधारा ने जम्मू-कश्मीर से जो छीन लिया, वह इस देश से वापस मिल जाएगा और राहुल गांधी में देश आशा की किरण देख रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण 2 अक्टूबर से शुरू हो सकता है। कांग्रेस ने यात्रा के पहले चरण की सफलता के बाद दूसरे चरण की तैयारी शुरू कर दी है। योजना के मुताबिक राहुल 2024 चुनाव से ठीक पहले गुजरात से शुरू होने वाली यात्रा को अरुरणाचल प्रदेश में खत्म करेंगे। राहुल गांधी ने 7 सितंबर, 2022 को कन्याकुमारी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी, जो 30 जनवरी को श्रीनगर में खत्म हो गई, लेकिन उसके पहले ही यात्रा से मिले जनसमर्थन से उत्साहित कांग्रेस ने दूसरे चरण की तैयारी शुरू कर दी है।
अब होगी गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक की यात्रा
पार्टी ने इस बाबत चर्चा शुरू कर दी है कि दक्षिण से उत्तर तक भारत भ्रमण करने वाले राहुल गांधी अब पश्चिम से पूर्व की तरफ भी वैसी ही यात्रा करें। भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण 2 अक्टूबर से शुरू हो सकता है। यात्रा गुजरात से अरुणाचल प्रदेश जाएगी। गुजरात के पोरबंदर या साबरमती आश्रम से शुरू होकर यह यात्रा लगभग 3100 किमी चलेगी, जबकि पहला चरण 4080 किमी का था। इस यात्रा में 140 से 150 दिन लगने की उम्मीद है। हालांकि, कांग्रेस अब भी कह रही है कि चर्चा चल रही है, सुझाव आए हैं, लेकिन अब तक तारीख तय नहीं है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे फेज को लेकर कई तरह के सुझाव मिले हैं और चर्चा निरंतर जारी है।
वैसे इस भारत जोड़ो यात्रा को गैर राजनीतिक यात्रा बताया गया है, लेकिन इस बात से कोई कैसे इनकार कर सकता है कि कांग्रेस के सभी शीर्ष नेताओं द्वारा इसमें भाग लिया गया और पांच महीने तक कठिन दौर से गुजरते हुए अपनी मंजिल (श्रीनगर) तक का सफर पूरा किया, फिर यह गैर राजनीतिक यात्रा कैसे? इस यात्रा से राहुल गांधी की छवि से लेकर दल की भी सक्रियता बढ़ी है और कांग्रेस से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं का आत्मबल भी बढ़ा है, तभी तो यात्रा खत्म होने से पहले ही अपनी दूसरी पदयात्रा का संकेत पार्टी द्वारा दे दिया गया था।
मूलतः यात्रा का उद्देश्य इस वर्ष नौ राज्यों में होने जा रहे विधानसभा और अगले वर्ष 2024 में देश के लोकसभा का चुनाव ही है। वर्ष 2023 के शुरू से लेकर अंत तक नौ राज्यों में चुनाव होने हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन्हें सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश और त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है, जबकि नगालैंड, मेघालय और मिजोरम की सत्ता पर क्षेत्रीय दल काबिज हैं, लेकिन भाजपा सहयोगी दल के तौर पर है। वहीं, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है, तो तेलंगाना में केसीआर की पार्टी बीआरएस काबिज है।
अब ऐसा लगने लगा है कि अपनी केवल एक यात्रा के बल पर हिमाचल प्रदेश का चुनाव जीतकर भारत जोड़ो यात्रा ने अपने कार्यकर्ताओं को यह संदेश दिया है कि 137 वर्ष पुरानी पार्टी कांग्रेस में अभी भी दम है। एक समय ऐसा भी कांग्रेस के लिए आ गया था, जब सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था और आमलोगों में यह भ्रम फैलाने का भरपूर प्रयास किया कि कांग्रेस अब समाप्त हो गई और अब वह लंबे समय तक देश पर शासन करती रहेगी। लेकिन, अब इस भारत जोड़ो यात्रा से ऐसा लगने लगा है कि सबके दिन अच्छे आने की जो बात कही जाती है, लगभग उस जैसी स्थिति कांग्रेस की हो गई है और उसके दिन बदलने वाले हैं।
यह असर तो केवल इस यात्रा को लेकर माना जाता है, लेकिन यदि पूर्व निर्धारित अपनी योजना के अनुसार इसी तरह की दूसरी यात्रा फिर पश्चिम से पूर्व की और के लिए कांग्रेस आयोजित करती है, तो यह मान लिया जाना चाहिए कि लोकसभा 2024 का चुनाव कांग्रेस के लिए सफलता की आखरी सीढ़ी होगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है)