Bharat Jodo Yatra And BJP: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) देश की सबसे पुरानी पार्टी की इस यात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं, पिछले दिनों इस अभियान की आवश्यकता के बारे में कहा था कि इस यात्रा का एक उद्देश्य देश को एकजुट करना भी है। 108 दिन की ‘भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra)’ के दिल्ली पहुंचने के बाद राहुल गांधी पिछले दिनों लाल किले (Red Fort) से लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में 24 घंटे हिंदू-मुस्लिम (Hindu-Muslim) पर बात हो रही है। इस यात्रा का लक्ष्य भारत को जोड़ना है।

राहुल गांधी बोले- देश में मोदी नहीं, अंबानी-अडानी की सरकार है

राहुल गांधी ने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि यह नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार नहीं, अंबानी-अडानी (Ambani-Adani) की सरकार है। मैं 2,800 किमी चला, मुझे कहीं भी नफरत या हिंसा नहीं दिखी, लेकिन मैं जब भी न्यूज चैनल खोलता हूं तो हमेशा नफरत और हिंसा (Hatred And Violence) ही दिखाई देती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ये आपका ध्यान इधर-से-उधर भटकाना चाहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि जो सच्चे मुद्दे हैं, उन पर आपका ध्यान गलती से भी न चला जाए।

यात्रा से कार्यकर्ता उत्साहित, लेकिन भाजपा में खलबली

‘भारत जोड़ो यात्रा’ की अपार सफलता और इसे मिल रहे भरपूर जनसमर्थन से कांग्रेस को समझने तथा समर्थन देने वाले और उनके कार्यकर्ता उत्साहित हैं, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा में कहा जाता है कि खलबली मची है। इसी का उल्लेख करतें हुए कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने सरकार पर आरोप लगाया है कि यात्रा में राहुल गांधी से मिलने वालों की आईबी द्वारा खोजबीन और जांच-पड़ताल की जा रही है।

‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने देश ही नहीं, विश्व में राहुल गांधी की जो छवि दुष्प्रचार के जरिये बना दी गई थी, वह टूट गई। राहुल गांधी अपनी यात्रा में विभिन्न स्थानों पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार इस मुद्दे को उठाया और कहा कि उनकी छवि को खराब करने के लिए मीडिया में सत्तारूढ़ दल द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन उसका कभी कोई विरोध उन्होंने नहीं किया; क्योंकि वह जानते थे कि वे झूठ बोल रहे हैं और झूठ का एक दिन पर्दाफाश होना ही है।

यहां स्वामी विवेकानंद के कुछ वक्तव्यों को उद्धृत करना आवश्यक है। स्वामी विवेकानंद कहते हैं, ‘भारत में सर्वश्रेष्ठ होने की क्षमता है, हमारा देश संसार का कीर्तिस्तंभ है, लेकिन हमारे ये तथाकथित नेता, ये मूर्ख और स्वार्थी नेता, अपनी संस्कृति का वैभव नष्ट करने पर तुले हैं। ये लोग उन सुधारों का प्रचार कर रहे हैं, जिससे उनकी जय-जयकार हो, किंतु देश का गौरव नष्ट हो जाए।

कांग्रेस नेता बोले- जनता दुष्प्रचार को समझ गई, इसलिए सरकार बेचैन

ये अपनी संस्कृति और उसके गुणों को समझे बिना उसमें सुधार का दुस्साहस कर रहे हैं। हिंदुओं का आध्यात्मिक विकास न कर, हिंदू धर्म को मतों के सांचे में ढालने को ही गौरव समझ रहे हैं। जो आदर्श कभी अपने जीवन में अवतरित नहीं कर पाए, उनका प्रचार कर रहे हैं।’ चूंकि देश की जनता इस प्रकार के दुष्प्रचार को समझ गई है, इसलिए वर्तमान सरकार में खलबली मची हुई है।

इधर भाजपा इसे सिर्फ एक स्टंट मानते हुए यह दावा कर रही है कि हार के डर से राहुल गांधी चुनावों से बच रहे हैं और यह यात्रा उन पर उल्टा ही असर करेगी। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान जहां एक तरफ राहुल गांधी लगातार अपने बयानों और ट्वीट के जरिये भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं, वहीं भाजपा भी राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए यह कह रही है कि यह ‘भारत जोड़ो’ नहीं, ‘भारत तोड़ो’ यात्रा है और राहुल गांधी को ‘भारत जोड़ो’ से पहले अपनी पार्टी कांग्रेस को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि हताश और निराश होकर कांग्रेस के दिग्गज नेता एक-एक करके पार्टी छोड़ रहे हैं।

Rahul Gandhi
उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खबरी को पार्टी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के यूपी चरण की शुरुआत करने के लिए गाजियाबाद में मंगलवार, 3 जनवरी, 2023 को राष्ट्रीय ध्वज सौंपने के समारोह के दौरान मौजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा। (पीटीआई फोटो)

भाजपा ने तो अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से बाकायदा एक अभियान चला रखा है जिसके तहत पार्टी लगातार कांग्रेस की पिछली सरकारों की गलतियों को याद दिलाते हुए लोगों को यह समझाने का प्रयास करती है कि कांग्रेस का चरित्र हमेशा से ही भारत को जोड़ने का नहीं, तोड़ने का रहा है। कांग्रेस के दावों और भाजपा के पलटवार के बीच सवाल यह उठ रहा है कि राहुल गांधी की इस यात्रा का असर देश की राजनीति पर पड़ भी रहा है या नहीं? क्या वाकई इस यात्रा के जरिये कांग्रेस को एकजुट कर राहुल गांधी भाजपा सरकार के लिए खतरा बन सकते हैं? क्या कांग्रेस अध्यक्ष न बनने के बावजूद यह यात्रा राहुल गांधी के राजनीतिक कद को इतना बढ़ा सकती है कि कांग्रेस के साथ-साथ समूचा विपक्ष उनके नेतृत्व को स्वीकार कर ले?

कहा जाता है कि किसी मनुष्य को अपनी पीठ दिखाई नहीं देती है, इसी को चरितार्थ करते हुए सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस परिवारवादी और वंशवादी पार्टी है। इसपर कांग्रेस की ओर से भी प्रहार किया जाता है और उन लोगों का नाम गिनाया जाता है जिन्होंने भाजपा में वंशवाद की परंपरा को जीवित रखा है तथा जो वरिष्ठ नेता इसमें शामिल हैं, उनका नाम सार्वजनिक है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर राहुल गांधी की सराहना करते हुए कहा है कि राहुल गांधी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री का चेहरा भी होंगे। उनका कहना है कि राहुल गांधी सत्ता की नहीं, बल्कि जनता की राजनीति करते हैं। ऐसे नेता को देश के लोग खुद-ब-खुद सिंहासन पर बैठा देते हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी स्पष्ट किया है कि राज्य में उनकी सहयोगी कांग्रेस द्वारा अगले आम चुनाव में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर जोर देने से उन्हें कोई समस्या नहीं है।

राहुल गांधी ने अपनी राजनीतिक उच्च आदर्श और सदाशयता का परिचय देते हुए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दिल्ली पहुंचने पर महात्मा गांधी तथा सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित अटल बिहारी वाजपेई की समाधि पर भी पुष्पांजलि अर्पित की, जिसे भाजपा ने राहुल गांधी और कांग्रेस का ढकोसला बताया है। जबकि, राहुल गांधी ने कहा है कि भाजपा और आरएसएस उनके लिए गुरु की तरह है। भाजपा और आरएसएस को धन्यवाद देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जितना वे आक्रमण करते हैं, उतना ही हमें सुधार करने का मौका मिलता है।

कांग्रेस नेता ने कहा, मैं यह टिप्पणी नहीं करूंगा कि पार्टी में कौन आ रहा है, कौन नहीं आ रहा है, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दरवाजे सबके लिए खुले हुए हैं। इसे हम किसी के लिए बंद नहीं करना चाहते। उन्होंने भाजपा में अंदरूनी कलह का भी दावा किया है और कहा कि कोई बोल नहीं पाता, लेकिन अंदर से सभी डरे हुए हैं। जो भी हो, अभी तो दिल्ली से श्रीनगर तक का सफर तथा ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का दूसरा चरण बाकी ही है, तब तक कांग्रेस कितना मजबूत होती है और देश के जनमानस पर इसका कितना प्रभाव पड़ने वाला है, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के लिए भी परीक्षा की यह घड़ी है जिसमें नायक राहुल गांधी कितना सफल होते हैं, कितना नहीं, यह निर्णय तो 2024 में देश की जनता ही करेगी, क्योंकि सभी कयासों की चाभी तो उसी के पास होती है।

Senior Journalist Nishi Kant Thakur.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)