
मनुष्य अपने स्वभाव की मनोभूमि पर परंपरा को अपनाता और त्यागता या उसमें समय और स्थिति के अनुसार परिवर्तन परिवर्द्धन…
मनुष्य अपने स्वभाव की मनोभूमि पर परंपरा को अपनाता और त्यागता या उसमें समय और स्थिति के अनुसार परिवर्तन परिवर्द्धन…
भारत में शिक्षा की दुर्दशा देख कर यह अवश्य लगता है कि अवतारी महापुरुषों और महान गं्रथों के देश की…
शिक्षा जिस दिन मुक्त विचारों का मानवीय संस्कार बनेगी उस दिन सरकार या राजनीति से नीति पैदा न होकर मनुष्यता…
स्त्री सशक्तीकरण को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। इसके लिए अनेक अभियान, जन-जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए।…
अनुशासन को गांधी चरित्र निर्माण की पहली सीढ़ी मानते थे। चरित्रवान नागरिक स्वावलंबी और स्वाभिमानी होता है। देश में वे…
अरस्तू जैसे दार्शनिक ने सदियों पहले कह दिया था कि समृद्धि और संपन्नता के समय में शिक्षा अलंकार बन जाती…
अगर इतिहास के सत्य को बचाना है तो हमें युद्धों, व्यक्तियों, घटनाओं से हट कर संगीत, नृत्य, ललित कलाएं, साहित्य,…
शिक्षा हो या साहित्य, सभी क्षेत्रों में लोकतंत्र की उस संस्कृति का अभाव है, जो हमारे संवेदनतंत्र को जाति, धर्म,…
भारतीय राजनीति में जातिगत संकीर्णता राष्ट्रीय एकता के मानस को खंडित करती है। इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा…
सूचनाओं को ज्ञान बना कर बांटने वाले कहते हैं, सोचना बंद करो, सूचनाओं की सेल लगी है, सूचना खरीदो और…
शिक्षा को जब हम अपने अतीत से जोड़ते हैं तो संस्कार की ध्वनि सुनाई देती है, लेकिन जब अपने वर्तमान…
यूरोप में शिक्षा का औपचारिक तरीका चर्च में अपनाया गया। वहां बच्चों, किशोरों, युवाओं की धार्मिक शिक्षा-दीक्षा होने लगी।