हम सभी के जीवन में दृष्टिकोण का बहुत महत्व है। हम अपने आसपास की चीजों, वातावरण और स्वयं को लेकर क्या धारणा रखते हैं, वही लगभग हमारे जीवन की परिभाषा बन जाती है। अगर हम अपने जीवन से खुश और संतुष्ट हैं, तो फिर अधिक फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे हमारे जीवन के बारे में क्या दृष्टिकोण रखते हैं। वहीं अगर हम खुद को लेकर नकारात्मक, आलोचनात्मक रवैया रखते हैं, तो हमें लगभग हर दृष्टि ही घूरती हुई नजर आने लगती है।

हर परिस्थिति में सकारात्मक बने रहने के लिए हमें कई उदाहरण दिए जाते रहे हैं, जिसमें एक आधे भरे या आधे खाली गिलास का सिद्धांत भी प्रमुख है। हमारे सामने एक गिलास रख दिया जाता है, जिसमें आधा पानी भर दिया जाता है। अब हमसे पूछा जाता है कि यह गिलास आधा खाली है या भरा हुआ। हमारे जवाब से यह निर्धारित किया जाता है कि जीवन को लेकर हमारा नजरिया सकारात्मक है या नकारात्मक।

ऐसे ही अनगिनत उदाहरणों से हमें सकारात्मक बनाए रखने का प्रयास किया जाता रहा है। जो उपलब्ध है, जो मिल रहा है, उस पर अपनी दृष्टि बनाए रखिए। कहा भी गया है कि संतोषी सदा सुखी, जो कि गलत भी नहीं है। प्रयास हमेशा करते रहना और जो हमारे पास है उसे तनावमुक्त होकर स्वीकार कर लेना, यह सुखी जीवन की चाबी कही जा सकती है।

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जब हमारे वास्तविक अधिकारों की बात होने लगती है, तब नकारात्मक, सकारात्मक विचारधारा या हर हाल में संतुष्टि से भरे जीवन से परे यह समझना भी बेहद आवश्यक हो जाता है कि किसी दुकान में शीशे की अलमारी में रखी हुई वस्तु जरूरत की है भी या नहीं। उस वस्तु की जरूरत हमें वर्तमान में या भविष्य में रहेगी, कहीं वह हमारे लिए अवांछित तो नहीं है!

हमारा उससे कोई संबंध है भी या नहीं! यह सोच सकारात्मक या नकारात्मक दृष्टिकोण में हमें नहीं बांटती, बल्कि हमें मौका देती है उचित चुनाव करने का, हमारे अधिकारों पर विमर्श करने का, उन विश्लेषणों से खुद को बचा लेने का जो केवल उचित मुद्दों से भटकाव के लिए हमारे समक्ष रख दिए गए हैं, जिनका वास्तव में हमारे जीवन की बेहतरी से कोई सीधा संबंध ही नहीं है।

सदाचार का पाठ पढ़ाकर कई बार हमारे सामने ऐसी चीजें रख दी जाती हैं जो किसी और की स्वार्थपूर्ति के लिए बनाई गई होती हैं। ऐसे में हमें खुद को आशावान बने रहने के दबाव से मुक्त कर देना चाहिए। चीजों, परिस्थितियों के प्रति आशावादी होना जितना आवश्यक है, उतना ही जरूरी है उनका हमारे जीवन में प्रासंगिक होना।

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हमेशा परिस्थितियों के वशीभूत बने रहकर जो मिला है उसमें किसी पीड़ित की तरह संतुष्ट बने रहने की कोशिश करने से बेहतर है, अपने सही अधिकारों के लिए आवाज उठाना, सवाल पूछना और बेहतरी के लिए कर्मबद्ध हो जाना। विकास इसी प्रक्रिया से संभव हो पाता है, जब हम गैरजरूरी चीजों का बहिष्कार करने का साहस खुद में जुटा पाते हैं और वास्तविक आवश्यकताओं की दिशा में अग्रसर होते हैं। ऐसा करने से हम न केवल खुद के जीवन में प्रगति लाते हैं, बल्कि अगली पीढ़ी की राहें भी आसान कर देते हैं।

अपने जीवन से जुड़े विषयों या मुद्दों के बारे में अवगत रहना, अपने ध्यान को अपने लक्ष्य पर केंद्रित बनाए रखना भी जीवन के प्रति उम्मीद से भरा दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। निश्चित ही हम सभी की जरूरतें भिन्न परिस्थितियों में अलग हो सकती हैं। मगर कुछ मूलभूत जरूरतें सभी मनुष्यों को सामान्य रूप से रहती हैं।

ऐसे में हमें यह देखना चाहिए कि क्या सभी को समान रूप से सुविधाएं उपलब्ध हैं और क्या सभी के गिलास में इतना पानी है कि सबकी प्यास बुझ पा रही है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि केवल कुछ लोगों के हिस्से में ही आधा भरा हुआ गिलास आया है। क्या गिलास के भीतर वाकई जरूरत का सामान भरा हुआ है या यह केवल प्रलोभन है!

सकारात्मक और नकारात्मक दृष्टिकोण से पहले यह देखना बेहद आवश्यक है कि क्या यह सही विषय है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता भी है। अक्सर हम अपना जीवन दूसरों की नजरों से देखते, समझते आए हैं, जिसके चलते हमारे निर्णय भी हमारी इसी डरी हुई सोच का परिणाम होने लगते हैं। हमारी उम्मीदों को हम कम करते जाते हैं, खुद को सिकुड़ते जाते हैं। मन के भीतर भले गहरे अंधेरे में डूब रहे होते हैं, पर ऊपर से बनावटी खुशी को ओढ़ लेते हैं।

अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए, अधिकारों के लिए हमें हमेशा बिना डरे कदम उठाना चाहिए। जब हम साहसी होकर उन चीजों को जगह देने लगते हैं जो वास्तव में हमारे लिए आवश्यक हैं, तब पाते हैं कि कई सारी गैरजरूरी चीजें हमारे जीवन से अपने आप ही समाप्त होने लगती हैं जो हमने अपने भय, झिझक के चलते संग्रहीत कर रखी थीं।

जब हम अपने आप में सहज हो जाते हैं, खुद को और अपनी जरूरतों को समझने लगते हैं, तब हम सही अर्थों में उम्मीदों और खुशियों से भरा उन्मुक्त जीवन जीने लगते हैं। अपने सही अधिकारों के लिए आवाज उठाना हर परिस्थिति में एक सकारात्मक कदम कहा जा सकता है जो हमारे जीवन को ही नहीं, समाज को भी सही दिशा की ओर आगे बढ़ाने में सक्षम है।