नवरात्रि के दौरान दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा मीट की दुकानें बंद करने के आदेश के बाद सियासी बवाल शुरू हो गया है। साउथ दिल्ली के मेयर मुकेश सुर्यान ने खुले में मीट बेचने वाली दुकानों को नौ दिनों के लिए बंद करने का आदेश दिया है। इस पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मांस भी प्याज और लहसुन की तरह सिर्फ भोजन है। इस तरह दुकानें बंद रहने से लोगों को नुकसान होगा, उसकी भरपाई कौन करेगा?

ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी बड़े बिजनेसमैन लोगों के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और वैचारिक गुर्गों के लिए ईज ऑफ बायगेट्री चाहते हैं। दुकानें बंद रहने से होने वाले नुकसान की भरपाई कौन करेगा? मांस अशुद्ध नहीं है, यह सिर्फ लहसुन या प्याज जैसा भोजन है। उन्होंने कहा अगर लोग मीट खरीदना नहीं चाहते हैं तो सिर्फ 99 नहीं, 100 प्रतिशत लोगों के पास मांस नहीं खरीदने का विकल्प है।

मीट मिलेगा नहीं, तो लोग खाएंगे नहीं – उधर, मुकेश सुर्यान का कहना है कि मीट की दुकानों को बंद करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। जब मीट मिलेगा नहीं तो लोग खाएंगे भी नहीं। उन्होंने कहा- “मुझसे कई लोगों ने शिकायत की थी जिन्हें उपवास के दौरान मीट कटता हुआ देखकर परेशानी होती थी। हमने दिल्लीवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है। यह किसी की व्यक्तिगत आजादी का उल्लंघन नहीं है”।

मेयर ने कहा कि अगर मीट की दुकानें बंद कर दी गईं तो इसमें गलत क्या है? सिर्फ नवरात्रि के लिए ही दुकानों को बंद करने के निर्देश हैं। इस संबंध में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती को लिखे एक पत्र में सूर्यान ने यह भी कहा कि नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक श्रद्धालु मां दुर्गा की पूजा करते हैं। इन दिनों में प्याज, लहसुन का भी खाने में उपयोग नहीं किया जाता है। मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन भी नहीं किया जाता है, लेकिन श्रद्धालु मंदिर के आसपास खुले में मीट बिकने से थोड़ा असहज महसूस करते हैं और उनकी धार्मिक भावनाएं प्रभावित होती हैं।