क्षमा शर्मा
महिलाओं की उम्र को लेकर हमारा समाज थोड़ा ज्यादा ही सजग रहता है और उम्र के आधार पर उनकी क्षमताओं और प्रतिभा का आकलन करना एक तरह से यहां लोगों की रुचि का हिस्सा रहता है। मगर इस क्रम में कई बार ऐसा लगता है कि समाज में यह धारणा वर्ग के आधार पर बनती-बिगड़ती रहती है। हालांकि समय के साथ धारणाओं में बदलाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, मगर इसके सकारात्मक और नकारात्मक होने को लेकर विचार किया जा सकता है।
करीना कपूर समेत कई हस्तियां उम्रदराज होने के बाद भी हैं एक्टिव
फिल्म अभिनेत्री करीना कपूर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा था कि वे शादीशुदा हैं। उनके दो बच्चे भी हैं। उनकी उम्र तैंतालीस साल है। मगर उन्हें बहुत अच्छी फिल्मों के प्रस्ताव मिल रहे हैं और वे बहुत व्यस्त हैं। परिवार के साथ-साथ वे अपने करिअर पर भी भरपूर ध्यान दे पा रही हैं। उनके अलावा कई अन्य अभिनेत्रियां भी पचास वर्ष की आयु होने के बाद भी या तो ओटीटी मंचों पर या मुख्यधारा की फिल्मों में बनी हुई हैं या फिर वापसी कर रही हैं। देखा जाए तो पचास की उम्र कोई इतनी ज्यादा नहीं होती कि व्यक्ति को अप्रासंगिक मान लिया जाए।
इक्यासी साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन के पास बहुत काम है
असल सवाल यह है कि किसी व्यक्ति के भीतर काबिलियत का स्तर क्या है, उसकी उम्र चाहे जो हो। सलमान खान, शाहरुख खान, अनिल कपूर, आमिर खान, अक्षय कुमार आदि पचपन और साठ के आसपास पहुंच रहे हैं और नायक की भूमिका निभा रहे हैं। इक्यासी साल की उम्र में भी अमिताभ बच्चन के पास इतना काम है कि युवा भी मुकाबला नहीं कर सकते। लेकिन बात हो रही है नायिकाओं की और महिलाओं की भूमिका की।
अंजना मुमताज और रीमा लागू अपने से बड़ी उम्र के नायकों की मां बनी हैं
एक जमाने में पर्दे पर मां का किरदार निभाने वाली अंजना मुमताज और रीमा लागू ने कहा था कि जिन नायकों की माताओं की भूमिका वे निभाती हैं, उनसे वे उम्र में छोटी हैं। स्त्रियों की उम्र को लेकर वैसे भी लोग कुछ ज्यादा ही चर्चा करते हैं। पुराने जमाने में तो तीस से पहले ही नायिकाओं को ढलती उम्र का बताया जाने लगता था। इसीलिए मशहूर अभिनेत्रियां भी यह सोचकर कि अब ढलान शुरू होने वाली है, इस उम्र तक पहुंच कर शादी-ब्याह करके परिवार बसा लेती थीं और फिल्मी पर्दे को हमेशा के लिए अलविदा कह देती थीं। आमतौर पर वे फिल्मों में वापसी नहीं करती थीं।
इस दौर में अभिनेत्रियों को अपने प्रेम संबंधों को भी छिपा लेना पड़ता था। इसका तर्क दिया जाता था कि अगर दर्शकों को यह पता चल जाए कि अमुक अभिनेत्री का कोई प्रेमी है या फिर वह शादीशुदा है या मां है तो पर्दे पर उसका आकर्षण कम हो जाता है और फिल्म के नाकाम या पिट जाने का खतरा बना रहता है। प्रेम संबंध, विवाहित होना और मां होना फिल्म की सफलता में रोड़ा हैं।
ध्यान से देखें तो यह वही पुरुषवादी सोच है, जहां किसी महिला को उसकी क्षमता या काबिलियत से नहीं, बल्कि इस बात से तोला जाए कि अगर वह अपनी निजी जिंदगी में शादीशुदा है, मां है, तो उसके प्रति लोगों का आकर्षण कम हो जाता है और वह असफल हो जाती है। यह बहुत अफसोस की बात है। बहुत-सी अभिनेत्रियों ने समय-समय पर इस बात का विरोध भी किया है। मगर आज ऐसी कई अभिनेत्रियां अपने काम के बल पर खूब सफल भी हो रही हैं।
उम्र भी उनकी सफलता में कोई बाधा नहीं बन रही है। ये स्त्रियां अभिनय के साथ-साथ तरह-तरह के व्यापार में भी हाथ आजमा रही हैं और उनमें भी सफलता अर्जित कर रही हैं। अब उनके मन में असमय ही फिल्मी दुनिया या अपने करिअर से बाहर हो जाने का भय भी नहीं बचा है। इन क्षेत्रों में काम करने वाली स्त्रियों के लिए सचमुच यह एक सुखद समय है।
अफसोस यह है कि फिल्मी दुनिया में इस बदलती तस्वीर का असर जमीनी स्तर पर समाज में अभी नहीं दिख रहा है। बल्कि बड़े पैमाने पर यह देखा जा सकता है कि उद्योग या कारोबार जगत में या मेहनत वाले काम की दुनिया में युवाओं को ही जगह मिलती है, क्योंकि उनसे ज्यादा मेहनत और काम कराया जा सकता है। वैसी दुनिया में माना जाता है कि ज्यादा उम्र के लोग ज्यादा मेहनत नहीं कर पाते, इसलिए उनकी वजह से उत्पादन में कमी आती है। फिर महिलाओं के बारे में तो यह रूढ़ धारणा ही है कि ज्यादा आयु की महिलाएं युवा लड़कियों के बराबर काम नहीं कर पातीं।
यानी जमीनी स्तर पर काम मिलने के अवसरों में फिल्मी दुनिया के चकाचौंध जैसी सुखद स्थिति नहीं है। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि पहले ही महिलाओं को बराबर काम के लिए कम वेतन और अवसर से संबंधित बाधाओं का सामना करना पड़ता रहा है। ऐसे में आयु के आधार पर उनकी स्वीकार्यता तय करने की दृष्टि में न सिर्फ अमानवीयता झलकती है, बल्कि एक पूर्वाग्रह भी। उम्मीद की जानी चाहिए कि जिस तरह फिल्मी दुनिया में चालीस या पचास वर्ष की अभिनेत्रियों को लेकर समाज का नजरिया सहज हुआ है और वे उन्हें भी महत्त्व देने लगे हैं, उसी तरह अपने आसपास भी महिलाओं की उम्र के आधार पर वे उनकी क्षमता का पैमाना तय नहीं करेंगे।