प्रमोद मीणा भारत में राजनीतिक फिल्मों के निर्माण और वैकल्पिक सिनेमा का नाभिनाल संबंध रहा है। इसलिए अगर वर्तमान परिदृश्य…
कृष्णा शर्मा शमशेर बहादुर सिंह से प्रेरणा लेकर काव्य-लेखन में पदार्पण करने वाली शोभा सिंह की उनचास कविताओं का संग्रह…
केदार प्रसाद मीणा रणेंद्र का उपन्यास गायब होता देश उनके पहले उपन्यास ‘ग्लोबल गांव के देवता’ की तरह विस्थापित होते,…
प्रयाग शुक्ल बहुतों के लिए अब कोलकाता वही नहीं रह गया (या नहीं रह जाएगा) जो अशोक सेकसरिया के रहते…
सय्यद मुबीन ज़ेहरा अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो पढ़ी-लिखी और सभ्य समाज में रहने वाली महिलाओं की हालत देख कर…
तरुण विजय चिढ़ है। झुंझलाहट है। कुंठा में डूबा गुस्सा है। गुस्सा भी ऐसा करना है कि लगे वे सक्रिय…
अशोक वाजपेयी अशोक सेकसरिया का अकस्मात देहावसान स्तब्धकारी है; उनके गिरने और पैर की सर्जरी जरूरी होने की खबर थी…
अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी आज बाजार ने हमारी चेतना में इस बोध को लगभग स्थापित कर दिया है कि किसी उत्पाद…
कौमुदिनी मकवाड़ा युवा कवयित्री रेनू शुक्ला का कविता संकलन चुरइल कथा अनेक स्त्री-प्रश्नों से टकराने का मौका देता है। कहा…
रमेश दवे प्रभाकर श्रोत्रिय अपनी हर रचना को उसके अंतिम रूप तक पहुंचाने के पहले इतना मांजते हैं कि रचना…
के विक्रम राव विष्णु नागर ने (24 नवंबर) अंगरेजी भाषाई अखबारों की उचित ही भर्त्सना की है। उनकी समाचार-निरपेक्षता, चलताऊ…
सवाईसिंह शेखावत इधर स्त्रियों के साथ कुछ भी गलत घटने पर उनके कपड़े-लत्तों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने और दूसरी…