वीरेंद्र यादव ‘‘खड़े क्या हो बिजूके से नरेश/ इससे पहले कि गिर जाए समूचा वजूद/ एकबारगी/ तय करो अपना गिरना/…
सय्यद मुबीन ज़ेहरा उठो बेटा स्कूल को देर हो रही है। नहीं अम्मा आज ठंड हो रही है, नहीं जाऊंगा।…
तरुण विजय जिनका देश, समाज, उसके चिंतन और गरीबी में पल रहे करोड़ों भारतीयों की हालत सुधारने से कोई सरोकार…
अशोक वाजपेयी मुंबई की एशियाटिक सोसायटी के दरबार हॉल में जब दो खंडों में प्रकाशित पुस्तक ‘कालजयी कुमार गंधर्व’ (राजहंस…
रमेश दवे प्राय: हर कलाकार अपने अंदर प्रतियोगिता जीता है। यह प्रतियोगिता वह समकालीनों से तो करता ही है, अतीत…
अनिल पुष्कर उर्मिला जैन के संग्रह गुनगुनी धूप का एक कतरा की कविताएं स्त्री वेदना को स्वर देती हैं। यहां…
अनंत विजय उन्नीस सौ सत्तावन में नई कहानी पर टिप्पणी करते हुए हरिशंकर परसाई ने कहा था- ‘जहां तक कहानी…
अपूर्वानंद हिंदुओं को आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है। अपने भीतर झांकने की, खुद को टटोलने की। यह बात अधिकतर हिंदुओं को…
कुलदीप कुमार जिन लोगों को यह मुगालता था कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और…
असीम सत्यदेव अरुण माहेश्वरी के लेख ‘अवाम से क्यों दूर हुआ वाम’ (26 नवंबर) में रोग से ज्यादा दवा की…
महेंद्र राजा जैन शंकर शरण की टिप्पणी ‘पाठक से दूरी का सच’ (26 अक्तूबर) पुस्तकें ‘बिकने’ और ‘न बिकने’ की…
अशोक वाजपेयी नया निजाम जब से आया है, तब से किसी न किसी रूप में भाषा का मुद्दा उठता रहता…