यह एक अजब हृदयहीन विसंगति है कि यहां मौत की पालिश से लोकप्रिय राजनीति के जूते को चमकाया जाता है।
एक श्रेष्ठ व्यक्ति अपनी गलती का एहसास होते ही क्षमा मांग लेता है या किसी दूसरे से भूलवश गलती हो…
इस दुनिया में ऐसा कोई नहीं है, जिसका अभाव से परिचय न हुआ हो।
इस बेलौस जिंदगी में किसी छतरी की तलाश आम जिंदगी का मुख्य अभियान बनती जा रही है।
अंग्रेजी का फैशन चल गया है। यह इज्जत का प्रश्न नहीं, ‘स्टेटस सिंबल’ बन गया है।
बचपन में ‘ब्रेड’ का मतलब रोटी पढ़ाया गया था। बाद में पता लगा कि वह ‘पावरोटी’ होना चाहिए था।
हम यह सुनते-सुनते बड़े-बूढ़े हुए हैं कि भारतवर्ष गांवों का देश है।
शब्दों के प्रवाह के लिए विचार चाहिए, विचार को भाव और भावों के लिए अभावों के प्रति संवेदी मन।
बड़े-बुजुर्ग, अनुभवी लोग कहते हैं कि जीवन में कभी-कभी छोटे-छोटे अनुभव भी बड़े सबक दे सकते हैं।
दरवाजे पर घंटी बजी। रुचि की नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर गई।
पिछले दिनों एक मित्र की बातों से लगा कि उनके स्वर में थकान और घबराहट थी।