
कई बार हमारे सामने ऐसी स्थितियां आ जाती हैं कि हमें अपनी प्राथमिकताओं के बारे में फिर से सोचना पड़ता…
हम सबका जीवन इसी ताने-बाने से बुना हुआ है कि धैर्य के साथ अपनी राह चलें और यह मान लें…
मंजिल या लक्ष्य तक पहुंचने का अपना एक आनंद है लेकिन उस मंजिल तक पहुंचने के दौरान मिले अनुभव भी…
ऋगवेद में बताया गया है कि जल ही औषधि है, जल रोगों का शत्रु है, यही सभी रोगों का नाश…
सब कुछ सही होने के बाद भी यदि आपके अंदर आत्मविश्वास नहीं है तो आपको अपने लक्ष्यों तक कोई नहीं…
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में कई बार पढ़ाई और नौकरी में मनचाहे अवसर नहीं मिल पाते।
चातुर्मास के शास्त्रीय विधानों का मूल उद्देश्य मनुष्य को त्याग और संयम की शिक्षा देना भी है।
जीवन का रहस्य भोग में नहीं, बल्कि दूसरों के सहयोग में है।
दुनिया में अधिकतर लोग अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करते हैं लेकिन सभी अपने लक्ष्यों तक नहीं पहुंचते हैं।
मुखौटे लगाकर हम लगातार स्वयं को तो धोखा देते ही हैं, दूसरों को भी धोखा देने की कोशिश करते हैं।
जब हम किसी भी काम को चुनौती बना लेते हैं तो वह आसानी से पूरा हो जाता है।