जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सुखी और स्वार्थपूर्ण जीवन की लालसा कभी नहीं होती खत्म, सामाजिक होने के उदार भाव में नहीं हावी रहती असुरक्षा

अपने को समाज का विस्तार मानना और समाज में खुद को देखना ही हमारी सकारात्मक चेतना का एक सही विस्तार…

champions trophy , team india
संपादकीय: लगातार अभ्यास और लक्ष्य साध कर लिखी गई जीत की पटकथा, भारतीय क्रिकेट टीम ने 12 साल बाद फिर लहराया परचम

इस अहम खिताब को भारत के नाम करने के लिए श्रेयस अय्यर ने तो ऐसे समय बल्लेबाजी की, जब मैदान…

growth rate
Blog: दीर्घकालीन विकास के लिए खेतीबाड़ी के साथ बढ़ाने चाहिए बुनियादी उद्योग, पहली दो-तीन तिमाहियों में हमारी वृद्धि दर दे रही घाटे के संकेत

चालू वित्तवर्ष की पहली दो-तीन तिमाहियों में हमारी वृद्धि दर घट कर नकारात्मक संकेत दे रही है। आर्थिक जानकारों का…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: महंगी गाड़ी, नामी कंपनी के कपड़े और आलीशान मकान बन रहा सफलता का अर्थ, मानकों से नहीं बल्कि परिणाम से तय होनी चाहिए सफलता की परिभाषा

सफलता की परिभाषा को तात्कालिक मानकों से नहीं, बल्कि उसके असर से देखा जाना चाहिए। सफलता अगर केवल भौतिक उपलब्धियों…

attack
संपादकीय: दहशतगर्दी का पनाहगार पाकिस्तान अब झेल रहा दंश, एक साल में एक हजार से ज्यादा हुए आतंकी हमले

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के आंकड़ों से जाहिर है कि पाकिस्तान में स्थितियां दिनों-दिन गंभीर होती जा रही हैं व अगर…

Jansatta Sarokar, Ravivari Column, Mobile Addiction
जनसत्ता सरोकार: मोबाइल की दुनिया में सिमटतीं संवेदनाएं, तकनीक के बढ़ते जाल में खोता इंसान

आज हालत यह हो गई कि ज्यादातर लोग जो स्मार्टफोन में गुम दिखते हैं, अगर वे अपने रोजाना चार-पांच या…

Satirist Sudhish Pachauri's column Baakhabar, व्यंग्यकार सुधीश पचौरी का कॉलम बाख़बर
जनसत्ता सरोकार: बयान, विवाद और यू-टर्न, औरंगजेब से शिक्षा नीति तक, सब ‘ग्रेट ग्रेट’; पढ़ें सुधीश पचौरी का व्यंग्य

एक दिन जैसे ही एक चैनल पर एक विपक्षी विधायक का बयान आया कि औरंगजेब क्रूर नहीं था, तो कई…

Rakesh Sinha ka Blog, Ravivari Stambh
जनसत्ता सरोकार: औरंगजेब का महिमामंडन या ऐतिहासिक सच्चाई? अबू आजमी के बयान से उठे सवाल; पढ़ें राकेश सिन्हा के विचार

औरंगजेब की कुपात्रता का कारण उसका सिर्फ सत्तावादी चरित्र नहीं है। दुनिया के इतिहास में ऐसे शासकों की कमी नहीं…

Tavleen Singh Sunday Column
जनसत्ता सरोकार: भारत में गरीबों की जान क्यों है इतनी सस्ती? हादसे, लापरवाही और बेनाम मौतें; पढ़ें तवलीन सिंह के विचार

जान सस्ती है हमारे देश में उन लोगों की, जो वैसे भी गरीबी की वजह से बेजुबान हैं और जिनकी…

Ravivari Stambh, P. Chidambaram Column Dusri Nazar
जनसत्ता सरोकार: जनसंख्या, प्रतिनिधित्व और राजनीतिक संतुलन की दुविधा; पढ़ें परिसीमन पर पी. चिदंबरम के विचार

अगर केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 81 और 82 के अनुसार चलती है और दक्षिणी राज्य जनसंख्या के आधार पर…

Rajpaat, Jansatta Epaper
राजपाट: सियासत के बदलते रंग, विपक्ष के संघर्ष, पारिवारिक कलह और रणनीतिकार के दांव

मायावती और ममता बनर्जी की पारिवारिक कलह सुर्खियां बटोर रही है, जबकि महाराष्ट्र में महायुति सरकार के अंदरूनी मतभेद खुलकर…

अपडेट