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दुनिया मेरे आगे: दूसरों के लिए जीना, सीखें प्रकृति और गुरु नानक से सेवा का पाठ

नदियां अपना पानी स्वयं नहीं पीतीं, पेड़ अपने फल नहीं खाते और सूरज खुद को रोशन नहीं करता। यानी दूसरों…

Jansatta Editorial, Jansatta Sampadkiya
संपादकीय: आज मामूली विवाद पर मरने-मारने को उतारू हो जाते हैं लोग, पहले मिल-बैठ कर सुलझा लेते थे मामला

पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह लोगों की जीवन शैली बदली है, उसका एक नकारात्मक पक्ष यह भी है। अब…

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दुनिया मेरे आगे: मैं कौन हूं? खुद से मिलने की सबसे लंबी यात्रा है एकांत का सच और आत्मपरिचय का अद्भुत मार्ग

एकांत में शांति की गोद को पाकर हम जीवन की सारी उथल-पुथल, विचारों के उद्वेग, इच्छाओं के संजाल और प्रत्येक…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: ईमान की राह से जब मन भटकाने लगे, तब खुद को कैसे संभालें, एक सच्चे और सादे जीवन की सबसे बड़ी कसौटी

जीवन के हर रंग में ईमानदारी की दरकार होती है। इसके बिना जीवन बनावटी और काले लोहे पर दिखावे के…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: भीड़ में अकेला इंसान और टूटते रिश्तों का वक्त, विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गया है हमारा ‘हम’

अकेलापन किसी की सामाजिक स्थिति या उपलब्धियों से परे है। यह अनुभव हर किसी को छू रहा है। दरअसल, अकेला…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: डिजिटल भंवर के दायरे; ऑनलाइन तो हैं, लेकिन रिश्तों में ऑफलाइन हो चुके हैं हम

यह चिंताजनक है कि धीरे-धीरे हम संवेदनाओं को खोते जा रहे हैं। अगर कोई पास बैठा हो और उदास हो,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: जीवन की डगर कठिनाइयों से भरी, कोई मानसिक तो कोई शारीरिक तौर पर परेशान

जब जिंदगी की गाड़ी ठीक-ठाक चल रही होती है, उस समय कोई बड़ा अप्रत्याशित संकट उठ खड़ा होता है, तब…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: बिना चाह के संवार देते हैं हमारी जिंदगी, ऐसे बेमिसाल लोग रहते हैं हमारे आसपास

गणमान्य सज्जन ही नहीं, हर छोटी-बड़ी वस्तु जो हमें मुफ्त या बिना भुगतान मिलती है, जब तक हमारे पास होती…

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दुनिया मेरे आगे: आत्मज्ञान की शुरुआत है समस्याओं का जश्न मनाना, सितारे अंधेरे में चमकते हैं, आपकी कहानी भी है खास

किसी दिन हम यह पता लगा लेंगे कि अपनी समस्याओं को कैसे हल करना है और आखिरकार उस स्थान पर…

जनसत्ता-दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: लोगों को रखना चाहिए सुनने का धीरज, सामने वाले की बातों पर करें गौर

कई लोग सामने बैठ तो जाते हैं, मगर पल में ही कहीं खो जाते हैं। वे न तो बोलने वाले…

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दुनिया मेरे आगे: सपनों का बोझ, महत्त्वाकांक्षा का होना अहम है, लेकिन उसे संतुलित बनाए रखना भी आवश्यक

युवा वर्ग के बढ़ते अवसाद का मुख्य कारण व्यापक रूप से विभिन्न प्रकार के प्रतिस्पर्धात्मक दबाव हैं। इसमें पाठ्यक्रम का…

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दुनिया मेरे आगे: इंसान के माहौल से तय होता है विचार और व्यवहार, खानपान और जीवनशैली का सामाजिक दायरा

लोग किसी भी तरह ज्यादा पैसा कमाते हैं, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, नैतिक और सार्वजनिक गुस्ताखियां करते हैं, वे सफल…

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