
स्वामी विवेकानंद ने व्यक्ति और भ्रातृत्व का अर्थ वसुधैव कुटुम्बकम् के संदर्भ में हमें समझाया था: ‘केवल एक ही ईश्वर…
स्वामी विवेकानंद ने व्यक्ति और भ्रातृत्व का अर्थ वसुधैव कुटुम्बकम् के संदर्भ में हमें समझाया था: ‘केवल एक ही ईश्वर…
आधुनिक समय में राष्ट्रीय स्तर पर शासन व्यवस्था के लिए जनतंत्र या लोकतंत्र को उन सभी विकल्पों में श्रेष्ठ माना…
मनुष्य और अन्य जीवधारियों में जो सबसे महत्त्वपूर्ण अंतर है, सामान्य रूप से सभी उससे परिचित हैं। यह भी सही…
कालजयी रचना ‘हिंद स्वराज’ में जिस पश्चिमी सभ्यता को युवा बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी ने राक्षसी तक कहा था, और…
जिस आचार्य द्वारा राज्य और समाज अपने हर कार्य-कलाप के निर्वहन में पूरी तरह प्रभावित होता था, उसका वर्तमान प्रतिरूप…
अगर पृथ्वी पर आगे की पीढ़ियों को शांति, सहयोग और भाईचारे का जीवन जीना है, तो वैचारिक गतिशीलता को अपनाना…
कोरोना ने मनुष्यों को बहुत कुछ सिखाया-पढ़ाया है। अब यह मनुष्य पर है कि वह इसमें से कितना कुछ समझ…
अनेक अवसरों पर यह प्रश्न उठता रहा है कि परीक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन तभी हो सकते हैं जब पाठ्यचर्या…
रवींद्रनाथ टैगोर का बचपन उस समय के धनाढ्य घरों की परंपरा के अनुसार ही प्रारंभ हुआ। उनकी देखभाल सेवकों द्वारा…
ऐसा कोई अध्ययन जानकारी में नहीं आया है कि सीबीएसई, किसी अन्य राष्ट्रीय बोर्ड या किसी राज्य के बोर्ड ने…
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