
साल 2021 में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद फरवरी 2023 में किसानों ने एक बार फिर से अपनी मांगों को लेकर पंजाब से दिल्ली की तरफ कूच की।13 फरवरी को पंजाब के कई किसान संगठनों से जुड़े किसान पंजाब से दिल्ली की तरफ रवाना हुए लेकिन हरियाणा सरकार ने उन्हें शंभू बॉर्डर (पंजाब – हरियाणा) राज्य की सीमा पर रोक दिया। शंभू बॉर्डर पर जमकर बवाल हुआ। आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने ड्रोन से आंसू गैस के गोले लगाए। किसानों के इस आंदोलन को देश के विभिन्न किसान संगठन समर्थन दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने भी किसानों के इस आंदोलन का समर्थन किया है।
किसान आंदोलन 2.0 में पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों के अलावा यूपी, राजस्थान, एमपी सहित देशभर के तमाम किसान संगठन शामिल हैं। तमिलनाडु के किसानों ने भी पंजाब और हरियाणा के अपने साथियों के समर्थन में अपने राज्य में प्रदर्शन किया। साल 2020-21 दिल्ली की सीमाओं पर हुए किसान आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था, इसमें देशभर के किसान संगठन शामिल थे। इस बार किसान आंदोलन का नेतृत्व किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और किसान मजदूर संघर्ष समिति (KMSC) के समन्वयक सरवन सिंह पंधेर और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी किसान संगठनों की सबसे अहम मांग MSP है। किसान अपनी फसलों के लिए MSP की कानून गारंटी डिमांड कर रहे हैं। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू किया जाए और किसानों का कृषि ऋण माफ किया जाए। इसके अलावा किसान संगठन लखीमपुर खीरी में मारे गए लोगों के लिए न्याय मांग रहे हैं।
केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, उसे ही MSP (Minimum Support Prices) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है। इसकी शुरुआत 60 के दशक में हुई थी। अभी सरकार 22 फसलों पर एमएसपी देती है। किसान चाहते हैं कि सरकार सभी फसलों पर MSP दे। किसान चाहते हैं सरकार खेती की पूरी लागत पर बेस्ड C2+50% फॉर्मूले के आधार पर MSP को उनका कानूनी हक बना दे।
सरकार अगर चाहे तो वह किसानों की यह डिमांड मान सकती है लेकिन ऐसा कनानू बना देने से निश्चित ही उसपर बोझ बढ़ेगा। कानून बनाने के बाद उसके कार्यान्वयन के लिए कई तरह की तैयारी करनी होगी, जैसे सरकार को फूड सब्सिडी का बजट बढ़ना होगा, जिस पर पहले से ही बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है। इसके अलावा एक निश्चित बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा, ताकि बड़ी मात्रा में अनाज का भंडारन हो सके।