हत्या समेत कई आरोपों के मामले में जेल में बंद माफिया-नेता मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे, मगर दो अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे उनके बेटे और भाई को हार का सामना करना पड़ा । मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में विलय कर दिया गया था। मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी मऊ जिले की घोसी सीट से जबकि भाई सिबगतुल्ला अंसारी गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद :यूसुफपुर: सीट से चुनाव लड़ रहे थे, मगर इन दोनों को ही पराजय का मुंह देखना पड़ा।

मुख्तार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेन्द्र राजभर को मात्र 7464 मतों से हराया। मुख्तार अंसारी की छवि और उनकी शख़्सियत को देखकर जीत का ये अंतर बेहद ही कम लगता है। बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे मुख्तार अंसारी इस वक्त जेल में हैं और प्रचार के लिए जमानत की उनकी अर्जी को अदालत ने खारिज कर दिया था। घोसी सीट पर मुख्तार के बेटे अब्बास को 81 हजार 295 जबकि भाजपा प्रत्याशी फागू चौहान को 88 हजार 298 मत मिले। मुहम्मदाबाद :यूसुफपुर: में सिबगतुल्ला को भाजपा प्रत्याशी अलका राय के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अलका को एक लाख 22 हजार 156 जबकि सिबगतुल्ला को 89 हजार 429 मत मिले।

चुनाव से पहले मुख्तार अंसारी ने समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश की थी, मुख्तार ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का विलय भी सपा के साथ कर दिया था। लेकिन ऐन मौक़े पर सीएम अखिलेश यादव अड़ गये थे इसके बाद इस विलय को रद्द कर दिया गया था। उस वक़्त माना जा रहा था सीएम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने पार्टी में अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए मुख्तार को एसपी में शामिल कराया था। हालांकि जब अखिलेश ने इस विलय पर नाराजगी जताई तो विलय को रद्द करना पड़ा।