गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग के बीच मीटिंग हुई। उसमें एक बड़ा फैसला लिया गया। इस मीटिंग में फैसला लिया गया कि आधार कार्ड और वोटर आईडी को एक साथ लिंक किया जाएगा। इस मीटिंग में चुनाव आयोग, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय आईटी मंत्रालय और आधार के सीनियर अधिकारी शामिल हुए। बीते कुछ समय से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का भी मुद्दा उठाया जा रहा था।
आधार-वोटर आईडी के डेटाबेस को जोड़ा जाएगा
चुनाव आयोग के अनुसार उनके पास 66 करोड़ से अधिक वोटरों के आधार की जानकारी है। इन वोटरों ने अपनी मर्जी से यह जानकारी दी है। लेकिन अभी तक इनके डेटाबेस को वोटर आईडी से जोड़ा नहीं गया है। यानी वोटर लिस्ट से डुप्लीकेट नाम हटाए नहीं गए हैं। अब जब चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय की मीटिंग में आधार कार्ड और वोटर आईडी को लिंक करने का फैसला ले लिया गया है, ऐसे में दोनों के डेटाबेस को जोड़ा जाएगा।
जो लोग चुनाव आयोग को अपनी मर्जी से आधार की जानकारी देंगे, उनके डेटाबेस को इसमें जोड़ा जाएगा। यह काम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के अनुसार होगा। इस अधिनियम के अनुसार वोटरों द्वारा अपनी मर्जी से आधार नंबर जमा करने और आधार की जानकारी न देने पर किसी को भी वोटर लिस्ट में शामिल होने पर रोकने या हटाने से बचाने के बारे में बताया गया है।
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फॉर्म 6B में किया जाएगा बदलाव
अब इस फैसले के बाद फॉर्म 6B में बदलाव किया जाएगा। दरअसल यह फॉर्म वोटरों से आधार नंबर लेने के लिए बनाया गया था, लेकिन अब फॉर्म में लिखा होगा कि आधार की जानकारी देना स्वैच्छिक है या नहीं। अभी तक 6B में आधार की जानकारी न देने का विकल्प नहीं था। अब फॉर्म 6B में या तो आपको आधार नंबर देना होता था या फिर घोषणा करनी होती थी कि मैं अपना आधार देने में असमर्थ हूं क्योंकि मेरे पास नंबर ही नहीं है। हालांकि अब अगर कोई वोटर आधार की जानकारी नहीं देने का फैसला करता है तो उसे इसका कारण भी बताना होगा।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने X पर लिखा, “आज भारत के चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वह आधार को मतदाता पहचान-पत्रों से जोड़ेगा। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन लगातार मतदाता सूचियों के मुद्दे उठाते रहे हैं, जिसमें असामान्य रूप से अधिक संख्या में नाम जोड़ना, अप्रत्याशित रूप से हटाना और डुप्लिकेट मतदाता पहचान-पत्र शामिल हैं। जबकि आधार डुप्लिकेट मतदाता पहचान-पत्र संख्याओं को संबोधित कर सकता है, सबसे गरीब और सबसे हाशिए पर पड़े लोगों को लिंकिंग प्रक्रिया में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। ईसीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी भारतीय अपने वोट से वंचित न रहे, और गोपनीयता संबंधी चिंताओं को दूर करना चाहिए। अब जबकि ईसीआई ने समस्या को स्वीकार कर लिया है, मैं अपनी पिछली मांग को दोहराता हूं कि उसे महाराष्ट्र 2024 विधानसभा और लोकसभा चुनावों की पूरी मतदाता सूची को सार्वजनिक रूप से साझा करके, नाम जोड़ने और हटाने के मुद्दे को भी संबोधित करना चाहिए।”