कोरोना संकट बीते करीब 2 महीने के देशव्यापी लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। लॉकडउन के तीसरे चरण के बाद चौथे चरण में अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश करते हुए शर्तों के साथ कई सेक्टर्स को खोलने की मंजूरी दी गई है। चौथे चरण का लॉकडाउन 31 मई तक लागू किया गया है।

इसी कड़ी में अब कर्ज की किस्तें चुकाने में अपने को असमर्थ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) कंपनियों पर अब दिवाला संहिता के तहत एक साल तक कार्रवाई नहीं होगी। सरकार के इस एलान से लघु एवं मध्यम उद्योगों यानी एमएसएमई को बड़ी राहत मिली है। एक साल के लिए इन्सॉल्वेंसी के तहत कार्रवाही रोकने पर बैंकों के लिए प्रॉसिडिंग बढ़ने की संभावना है। फ्रेश डिफॉल्टर के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी कार्यवाही एक साल तक के लिए निलंबित रहेगी और कोविड-19 से संबंधित कर्ज को डिफॉल्ट की परिभाषा से बाहर रखा जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की है। महामारी के चलते इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत एक साल तक कोई नई दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रस्तावित बदलावों को लागू करने के लिए जल्द ही अध्यादेश लाया जाएगा।

12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया था और इसी के तहत यह घोषणा की गई है। इसके अलावा 20 लाख रुपये के इस स्पेशल पैकेज में से लघु एवं मध्यम उद्योगों यानी एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए का लोन दिया जाएगा। यह कोलैटरल फ्री ऑटोमैटिक लोन है। सरकार ने घोषणा की है कि 4 साल के कार्यकाल के ऋण पर प्रिंसिपल रिपेमेंट पर 12 महीने की मोहलत दी जाएगी इसके अलावा एमएसएमई की परिभाषा को नई तरह से परिभाषित किया जाएगा।