एंप्लाई स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (Employees’ State Insurance Corporation: ईएसआईसी) ने 40 साल से अधिक उम्र के ईएसआईसी सदस्यों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम शुरू किया है। शनिवार (चार दिसंबर, 2021) को नई दिल्ली में ईएसआईसी की 186वीं बैठक में केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने अहमदाबाद, फरीदाबाद, हैदराबाद और कोलकाता के ईएसआई अस्पतालों में पायलट आधार पर इस वार्षिक एहतियाती स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम का आगाज किया।

बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए, यादव ने कहा, ‘‘हमने एक पायलट परियोजना शुरू की है जिसके तहत हम प्रत्येक साल 40 वर्ष या उससे अधिक उम्र के ईएसआईसी के बीमाकृत व्यक्तियों (आईपी) के लिए मुफ्त चिकित्सा जांच प्रदान कर रहे हैं। ‘स्वस्थ भारत’ का हमारा सपना है। हमारे पास लगभग 3.5 करोड़ आईपी हैं। इसलिए अगर हम उपचारात्मक के साथ ईएसआईसी में निवारक देखभाल कार्यक्रम भी चलाते हैं, तो हम स्वस्थ्य भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।’’

मंत्री ने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में सामाजिक सुरक्षा संहिता के कार्यान्वयन के साथ आईपी की संख्या बढ़कर पांच करोड़ हो जाएगी, जिससे इस योजना का और विस्तार किया जा सकेगा। यादव की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में गुरुग्राम (मानेसर) में मौजूदा 100 बिस्तरों वाले अस्पताल का विस्तार कर 500 बिस्तरों वाले ईएसआईसी अस्पताल के निर्माण के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई।

मंत्री के मुताबिक, आने वाले दिनों में सामाजिक सुरक्षा संहिता के कार्यान्वयन के साथ आईपी की संख्या को बढ़ाकर पांच करोड़ करने के साथ इस पायलट का और विस्तार किया जाएगा। ईएसआईसी भी अपने अस्पतालों को सुपर स्पेशियलिटी में सुधारना चाहता है, ताकि आने वाले दिनों में दूसरों के लिए रेफरल कम किया जा सके।

यादव ने सेवाओं के वितरण में सुधार के लिए ईएसआईसी लाभार्थियों के लिए एक मोबाइल ऐप ‘संतुष्ट’ शुरू करने के बारे में भी बात की। उन्होंने ने आगे कहा कि बिहार के पटना में बिहटा और राजस्थान के अलवर में दो ईएसआईसी अस्पतालों का निर्माण पूरा हो गया है और जल्द ही इनका उद्घाटन किया जाएगा।

ईएसआईसी ने ईएसआईसी कोविड-19 रिलीफ स्कीम (ESIC COVID-19 Relief Scheme) में अंशदायी शर्त में भी ढील दी। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से मरने वाले आईपी के परिवारों को मदद मुहैया कराने के लिए ईएसआईसी कोरोना राहत योजना शुरू की गई थी। 70 दिनों के अंशदान के भुगतान की इस अंशदायी शर्त को इस हद तक शिथिल करने का प्रस्ताव है कि अंशदान का भुगतान 70 दिनों के बजाय कम से कम 35 दिनों के लिए किया जाना चाहिए था।