खाताधारकों से बैंक खाते में तय रकम न रखने पर मिनिमम बैलेंस चार्ज वसूलते हैं। अगर आपका बैंक बार-बार इसी चीज पर शुल्क काट लेता है, तो इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप कुछ सरल उपाय अपना कर बैंक द्वारा लगाए जाने वाले इस जुर्माने से बच सकते हैं।
सबसे पहले यह पता कर लें कि आपके बैंक में मिनिमम बैलेंस कितना रखना जरूरी है। साथ ही यह भी जानकारी हासिल करें कि ऐसा न करने पर पेनाल्टी कितनी है। इन चीजों को लेकर थोड़ा सजग रहें। ट्रांजैक्शन के बाद खाते की रकम पर थोड़ा ध्यान रखें।
एक्सपर्ट्स सुझाते हैं कि महीने के पहले दिन खाते में बड़ी रकम जमा करके आप पूरे महीने ऐवरेज मंथली बैंसेल के पैमाने पर खरे उतर सकते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि खाते में न्यूनतम बैलेंस शुल्क का कैलक्युलेशन बैंक महीने के हिसाब से करता है।
जानकारी के मुताबिक, अगर ग्राहक ने महीने की एक तारीख को मोटी रकम बैंक खाते में जमा की। और, फिर एक-दो दिन बाद उसे निकाल लिया, तब न्यूनतम बैलेंस न रखने के बाद भी उस पर इस बाबत जुर्माना/पेनाल्टी नहीं लगेगी।
इतना ही नहीं, मिनिमम बैलेंस के झंझट से आपको FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट भी बचा सकती है। दरअसल, कुछ बैंक अपने यहां एफडी खुलवाने के बदले SAVINGS BANK A/C में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता नहीं रखते हैं। और, सरल भाषा में समझें तो FD के बाद बचत खाते पर कोई न्यूनतम बैलेंस से जुड़ा शुल्क नहीं लगता है।
और हां, अगर आपके पास कई सारे बचत खाते हैं तो बेहतर होगा कि आप उनमें जिनका इस्तेमाल अधिक नहीं करते या फिर न के बराबर करते हैं, उन्हें बंद करा दें, क्योंकि जरा सी चूक पर बैंक मिनिमम बैलेंस वसूल लेते हैं। बचत खाता के लिए यह औसत रकम होती है, जो महीने भर रखनी होती है। हर बैंक अपने हिसाब से ये शुल्क वसूलता है।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2018-19 में बैंकों ने मिनिमम बैलेंस चार्ज के रूप में लिए जाने वाले जुर्माने में बैंकों को 1996.46 करोड़ रुपए की कमाई हुई, जबकि एक साल पहले यानी 2017-18 में यह आंकड़ा लगभग 3368 करोड़ रुपए था।