What is Indian Railways/IRCTC’s Biometric Token System for General Coaches News in Hindi: अब से स्टेशनों पर सामान्य बोगी में सीट के लिए धक्का-मुक्की नहीं मचेगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारतीय रेल के तहत पश्चिमी और मध्य रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए नया बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (बीटीएस) लॉन्च कर दिया है। यात्रियों को इसके ‘पहले आओ-पहले पाओ’ के अंतर्गत टोकन दिए जाएंगे, जिसके जरिए उन्हें चालू डिब्बे में आसानी से सीट मिल सकेगी।
हालांकि, लोगों को यह टोकन फिंगरप्रिंट और बायोमीट्रिक जानकारी मुहैया कराने के बाद दिए जाएंगे। सबसे पहले उन्हें जनरल बोगी का टिकट लेना होगा। फिर स्कैनर पर अंगुलियों के निशान और बाकी बायोमीट्रिक डेटा देना होगा। यात्रियों को इसी आधार पर टोकन मिलेगा, जिसमें सीरियल नंबर होगा। गाड़ी में यात्रियों को इसी संख्या के जरिए क्रम दर क्रम बैठने का मौका दिया जाएगा। ये टोकन ट्रेन के खुलने से तीन घंटे पहले जारी होंगे।
पश्चिमी रेलवे के प्रवक्ता रविंद्र भास्कर ने बताया, “भीड़ किस किस्म की है आदि के बारे में जानने के लिए हम डेटा (यात्रियों से मशीनों में लिया गया) का इस्तेमाल करेंगे। गड़बड़ी की स्थिति में हमारे पास यात्रियों का डेटा होगा और उसी की मदद से अनारक्षित टिकटों की कालाबाजारी रोक सकेंगे। यह डाटा एक साल तक स्थानीय अधिकारी संभाल कर रखेंगे।”

वहीं, पुणे में डिविजनल सिक्योरिटी कमिश्नर डी विकास बोले- चूंकि हम यह व्यवस्था शुरू कर चुके हैं, इसलिए अव्यवस्थित होने वाली भीड़ सभ्य लोगों की कतार में नजर आती है… हम प्लैटफॉर्म्स के दोनों छोर पर दो काउंटर बनाए हैं, जहां आरपीएफ कर्मचारी व्यवस्था संभालने के लिए मौजूद रहते हैं।
उधर, आरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “टोकन गाड़ी खुलने के तीन घंटे पहले जारी होता है, इसलिए यात्रियों को अब से आठ-नौ घंटे लाइन में इंतजार नहीं करना पड़ेगा।” पश्चिमी और मध्य रेलवे के अधिकारियों की मानें तो रेलवे इस टोकन व्यवस्था को जल्द ही देश के बाकी हिस्सों में लागू करने के बारे में सोच-विचार कर रहा है।
क्या है बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम (What is Biometric Token System)?: बायोमीट्रिक टोकन सिस्टम को बीटीएस भी कहा जा रहा है। यह ट्रेन की जनरल बोगी में यात्रियों को सरल और सहज तरीके से सीट उपलब्ध कराने का एक व्यवस्थित और तकनीकी आधार जरिया है। बीटीएस के तहत यात्री को संबंधित यात्रा से जुड़ा टिकट (सामान्य बोगी का) खरीदने के बाद रेलवे स्टाफ को अपना बायोमीट्रिक डेटा देना होगा, जिसके आधार पर वे एक पर्ची जारी करते हैं। इस पर्ची को टोकन कहा जाता है और उसमें एक सीरियल नंबर होता है। इसी नंबर के क्रम के हिसाब से यात्रियों को जनरल बोगी में प्रवेश दिया जाता है, जिससे न तो प्लैटफॉर्म पर गाड़ी में पहले घुसने के लिए मारामारी होती है और न ही अंदर सीट के लिए लड़ाई-झगड़ा होता है।